Saturday, February 19, 2022

उलझनों और कश्मकश में ,

उलझनों और कश्मकश में , 
उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ..

ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए , 
मैं दो चाल लिए बैठा हूँ ..!!

लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का , 
मिलेगी कामयाबी... हौसला कमाल लिए बैठा हूँ ..!!

चल मान लिया , दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक , 
गिरेबान में अपने , ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ ..!!

.... ये गहराइयां, ये लहरें.... ये तूफां... तुम्हे मुबारक.... 
.... मुझे क्या फ़िक्र ,.... मैं कश्तीया और दोस्त... बेमिसाल लिए बैठा हूँ...... 🌹😊🙏🏽