Wednesday, June 22, 2022

*उजालो में मिल ही जायेगा... कोई ना कोई ।*

*तलाश उसकी रखो, जो अन्धेरों में भी साथ दे ।।*

Monday, June 20, 2022

*ना-समझ ही, मुझे समझ सकता है ।*

*ना-समझ ही, मुझे समझ सकता है ।*

*समझदारोंने तो... पहले ही बहुत कुछ समझ रख्खा है ।।*

IPL AUCTION

IPL AUCTION

Total Matches: 410

Balls Per Match: 240 (not counting extras)

Total Broadcast Rights: Rs 48,390 crore

Total Balls Bowled: 98,400

Each Ball Bowled is worth Rupees 50 Lakh

Per over Rs 300 lakh ( Rs 3 crore)


And we think World is Heading to Recession !! 😀

Wednesday, May 18, 2022

हबीब सोज़ साहब का एक शेर कमाल का है"यहाँ मज़बूत से मज़बूत लोहा टूट जाता हैकई झूठे इकठ्ठे हों, तो सच्चा टूट जाता है

हबीब सोज़ साहब का एक शेर कमाल का है

"यहाँ मज़बूत से मज़बूत लोहा टूट जाता है
कई झूठे इकठ्ठे हों, तो सच्चा टूट जाता है

Saturday, February 19, 2022

उलझनों और कश्मकश में ,

उलझनों और कश्मकश में , 
उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ..

ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए , 
मैं दो चाल लिए बैठा हूँ ..!!

लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का , 
मिलेगी कामयाबी... हौसला कमाल लिए बैठा हूँ ..!!

चल मान लिया , दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक , 
गिरेबान में अपने , ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ ..!!

.... ये गहराइयां, ये लहरें.... ये तूफां... तुम्हे मुबारक.... 
.... मुझे क्या फ़िक्र ,.... मैं कश्तीया और दोस्त... बेमिसाल लिए बैठा हूँ...... 🌹😊🙏🏽

Friday, January 21, 2022

रुकावटें आती हैं, सफलता की राह में, ये कौन नहीं जानता ?*

*रुकावटें आती हैं, सफलता की राह में, ये कौन नहीं जानता ?*

*फिर भी... मंज़िल तो वही पा लेगा, जो हार नहीं मानता ।।*

मुसीबत... यह एक ऐसी तिजोरी है ।

 मुसीबत... यह एक ऐसी तिजोरी है ।


जिसमे... सफलता के हथियार मिलते है ।।

किसी के लिए भी, खुली किताब मत बनो ।

 किसी के लिए भी, खुली किताब मत बनो ।


टाइमपास का दौर है, पढ़कर फेंक दिए जाओगे ।।

સમય દરેકનો આવે છે...

સમય દરેકનો આવે છે...

એક સમયે મોબાઈલ ને પણ...📱

સ્કૂલ માંથી બહાર કાઢવામાં આવ્યો હતો...

અને આજે એ જ મોબાઈલ થી

સ્કૂલો ચાલે છે...!!!

पुष्पा

 पुष्पा के खास दोस्त का नाम "केशव" था । पुष्पा की मां का नाम "पार्वती" था । उसके पिता का नाम "वेंकटरमण" था । उसकी प्रेमिका का नाम "श्रीवल्ली" था । उसके ससुर का नाम "मुनिरत्नम" था ।


पुष्पा के मालिक का नाम "कोंडा रेड्डी" था । जिस डीएसपी ने पुष्पा को पकड़ा था उसका नाम "गोविंदम" था ।

जिस थानेदार ने पुष्पा के साथ इंट्रोगेशन किया उसका नाम "कुप्पाराज" था ।


पुष्पा के सबसे बड़े दुश्मन का नाम "मंगलम श्रीनू" था । जो पुष्पा को मारना चाहता था , श्रीनू का साला उसका नाम "मोगलिस" था ।

डॉन कोंडा रेड्डी के विधायक दोस्त मंत्री जी का नाम "भूमिरेड्डी सिडप्पा नायडू" था ।

लाल चंदन का सबसे बड़ा खरीददार "मुरुगन" था ।


फ़िल्म मुझे इसलिए भी अच्छी लगी क्योंकि इसमें कैरेक्टर वाइज कोई न सलीम था न कोई जावेद था । न रहम दिल अब्दुल चचा थे । न पांच वक्त का नमाजी सुलेमान था ।

न अली-अली था न मौला-मौला था । न दरगाह थी , न मस्जिद थी , न अजान थी । न सूफियाना सियापा था ।

 

बस माथों पर लाल चंदन के तिलक थे । मंदिर थे । मंत्र थे । संस्कृत के श्लोक थे ।

काम शुरू करने से पूर्व देवी की पूजा थी । नए दूल्हा-दुल्हन के चेक पोस्ट से गुजरने पर उन्हें भेंट देने की प्रथा थी । पत्तल में खाना था । देशज वेशभूषा थी । अपनी प्रथाओं , परंपराओं का सम्मान था ।


बस यही सब बातें थी जो मैं बॉलीवुड में बहुत मिस करता हूँ और मेरी तरह बहुत से लोग करते होंगे । साउथ सिनेमा की ओर बॉलीवुड के दर्शकों का  झुकाव होने एक कारण यह भी है ।


ऐसी फिल्में देखने के बाद महसूस होता है कि हां हम अपने ही देश में है..............


सनातनी भारत भूमि पर ही हैं............।

जो जिंदगी से लड़ा है, वही जीवन में आगे बढ़ा है । किस्मत को जिसने कोसा है, वो आज भी वहीं खड़ा है ।।

 जो जिंदगी से लड़ा है, वही जीवन में आगे बढ़ा है ।


किस्मत को जिसने कोसा है, वो आज भी वहीं खड़ा है ।।