Saturday, April 29, 2017

डॉक्टर: "शराब पीते हो तो कसरत करनी भी जरूरी है."

रोगी: "ठेके तक तो पैदल ही जाता हूँ."
कट्टप्पा ने बाहुबली क्यों मारा इसका जवाब बाहुबली-2 में मिल गया

लेकिन मोगली को जंगल🌳🌳में चड्डी कोन सप्लाई करता था इसका जवाब कोन देगा
अगर लोग केवल जरुरत पर
ही आपको याद करते है तो
बुरा मत मानिये बल्कि गर्व कीजिये,

क्योंकि मोमबत्ती की याद तभी आती है,
जब अंधकार होता है !!
पत्नी : मैं बचूंगी नही मर जाउंगी!

पति : मैं भी मर जाऊंगा!

पत्नी : मैं तो बीमार हूँ इसलिए मर जाउंगी लेकिन तुम किस लिए ????

पति : मैं इतनी खुशी बर्दास्त नही कर पाउँगा!
😂😂😅😅😄😄😃😃😆😆😜😜
आगे बढ़ने वाला व्यक्ति कभी
किसीको बाधा नहीं पहुंचाता  
और
दूसरों को बाधा पहुंचाने वाला
व्यक्ति कभी आगे नहीं बढ़ता।

जब श्रीकृष्ण महाभारत के युद्ध पश्चात् लौटे तो रोष में भरी रुक्मिणी ने उनसे पूछा..,

 " बाकी सब तो ठीक था किंतु आपने द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह जैसे धर्मपरायण लोगों के वध में क्यों साथ दिया?"
.
श्री कृष्ण ने उत्तर दिया..,
"ये सही है की उन दोनों ने जीवन पर्यंत धर्म का पालन किया किन्तु उनके किये एक पाप ने उनके सारे पुण्यों को हर लिया "

        "वो कौनसे पाप थे?"

श्री कृष्ण ने कहा :
 "जब भरी सभा में द्रोपदी का चीर हरण हो रहा था तब ये दोनों भी वहां उपस्थित थे ,और बड़े होने के नाते ये दुशासन को आज्ञा भी दे सकते थे किंतु इन्होंने ऐसा नहीं किया

    उनका इस एक पाप से बाकी,
         धर्मनिष्ठता छोटी पड गई"
.
रुक्मिणी ने पुछा,
"और कर्ण?
वो अपनी दानवीरता के लिए प्रसिद्ध था ,कोई उसके द्वार से खाली हाथ नहीं गया उसकी क्या गलती थी?"
.
श्री कृष्ण ने कहा, "वस्तुतः वो अपनी दानवीरता के लिए विख्यात था और उसने कभी किसी को ना नहीं कहा,

 किन्तु जब अभिमन्यु सभी युद्धवीरों को धूल चटाने के बाद युद्धक्षेत्र में आहत हुआ भूमि पर पड़ा था तो उसने कर्ण से, जो उसके पास खड़ा था, पानी माँगा ,कर्ण जहाँ खड़ा था उसके पास पानी का एक गड्ढा था किंतु कर्ण ने मरते हुए अभिमन्यु को पानी नहीं दिया

इसलिये उसका जीवन भर दानवीरता से कमाया हुआ पुण्य नष्ट हो गया। बाद में उसी गड्ढे में उसके रथ का पहिया फंस गया और वो मारा गया"
.
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.
अक्सर ऐसा होता है की हमारे आसपास कुछ गलत हो रहा होता है और हम कुछ नहीं करते । हम सोचते हैं की इस पाप के भागी हम नहीं हैं किंतु मदद करने की स्थिति में होते हुए भी कुछ ना करने से हम उस पाप के उतने ही हिस्सेदार हो जाते हैं ।
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किसी स्त्री, बुजुर्ग, निर्दोष,कमज़ोर या बच्चे पर अत्याचार होते देखना और कुछ ना करना हमें पाप का भागी बनाता है। सड़क पर दुर्घटना में घायल हुए व्यक्ति को लोग नहीं उठाते हैं क्योंकि वो समझते है की वो पुलिस के चक्कर में फंस जाएंगे|

आपके अधर्म का एक क्षण सारे जीवन के कमाये धर्म को नष्ट कर सकता है।
         🙏🏻🌹🙏🏻
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बी.डी.गुहा रायपुर छत्तीसगढ़

आतंकवादी
वृथा कल्पनाओ से डरे सहमे
       बेतरतीब बेढंगे
नकारात्मक विचारो का सैलाब
   शुष्क पथरीली संवेदना
कटीले विचारो से लहू-लुहान
सूखी-बंज़र भावनाओ का निर्मम
            "प्रहार "
कोरी भावुकता रिश्ते रेत सामान
हरियाली असमय वीरान
उजड़ता घरोंदा बिखरते अरमान
  टूटती-उखड़ती साँसे जीवन
             " बेज़ान  "
स्वयं से डरी सहमी अंतरात्मा
        औरो को डराती
शुष्क पथरीली पिशाची आत्मा का
          " अठ्ठाहास  "
वृथा कल्पनाओ से डरे सहमे बेतरतीब
       बेढंगे आतंकवादी
    सब के सब एक सामान
         आतंकवादी.......
स्वरचित रचना बी.डी.गुहा रायपुर
           छत्तीसगढ़
कल मैं एक सूफी कहानी पढ़ रहा था। एक गरीब खानाबदोश तीर्थयात्रा से वापस लौट रहा था। रास्ते में उसे एक मरूद्यान में, भयंकर रेगिस्तान के बीच एक छोटे—से मरूद्यान में पानी का इतना मीठा झरना मिला कि उसने अपनी चमड़े की बोतल में जल भर लिया। सोचा, अपने सम्राट को भेंट करूंगा। इतना प्यारा, इतना स्वच्छ उसने जल देखा नहीं था। और इतनी मिठास थी उस जल में।

भर लिया अपनी चमड़े की बोतल में और पहला काम उसने यही किया, राजधानी पहुंचा तो जाकर राजा के द्वार पर दस्तक दी। कहा, कुछ भेंट लाया हूं सम्राट के लिए। बुलाया गया। उसने बड़ी तारीफ की उस झरने की और कहा, यह जल लाया हूं। इतना मीठा जल शायद ही आपने जीवन में पिया हो। सम्राट ने थोड़ा—सा जल लेकर पिया, खूब प्रसन्न हुआ, आनंदित हुआ। उस गरीब की झोली सोने की अशर्फियों से भर दी। उसे विदा किया।

दरबारियों ने भी कहा कि थोड़ा हम भी चखकर देखें। सम्राट ने कहा, रुको; पहले उसे जाने दो। जब वह चला गया तब सम्राट ने कहा, भूलकर मत पीना। बिल्कुल जहर हो गया है। लेकिन उस गरीब आदमी के प्रेम को देखो। जब उसने भरा होगा तो मीठा रहा होगा। लेकिन चमड़े की बोतल में, महीनों बीत गए उस जल को भरे हुए। वह बिल्कुल सड़ चुका है। जहरीला हो गया है। घातक भी हो सकता है। इसलिए मैंने एक ही घूंट पिया। और फिर मैंने बोतल सम्हालकर रख ली। उसके सामने मैं तुम्हें यह जल नहीं देना चाहता था क्योंकि मुझे भरोसा नहीं था तुममें इतनी समझ होगी कि तुम उसके सामने ही कह न दोगे कि यह जहर है। भूलकर भी इसे पीना मत।

स्वच्छ से स्वच्छ जल भी जब झरनों में नहीं बहता तो जहरीला हो जाता है। तुम्हारे आंसू अगर तुम्हारे आंख के झरनों से न बहे, तुम्हारे शरीर में जहर होकर रहेंगे। तुम्हारे रोएं अगर आनंद में नाचना चाहते थे, न नाचे तो तुम्हारे भीतर वही ऊर्जा जहर बन जाएगी।

इस जगत् में लोग इतने कडुवे क्यों हो गए हैं? इसीलिए हो गए हैं। इतना तिक्त स्वाद हो गया है लोगों में। शब्द बोलते हैं तो उनके शब्दों में जहर है। गीत भी गाएं तो उनके गीतों में गालियों की धुन होती है। सब जहरीला हो गया है। क्योंकि ...
जीवन एक कला भूल गया है—बांटने की, देने की, लुटाने की। लुटाओ! 'दोनों हाथ उलीचिए यही सज्जन को काम।

'लोग पागल कहें, ठीक ही कहते हैं। बुरा न मानना। जो पागल कहे उसको भी बांटना। कौन जाने! तुम्हें पागल कहने में भी तुम्हारे प्रति उसका आकर्षण ही कारण हो। कौन जाने! तुम्हें पागल कहकर वह अपनी सिर्फ सुरक्षा कर रहा हो।

कुछ जुर्म नहीं इश्क जो दुनिया से छुपाएं।
हमने तुम्हें चाहा है हजारों में कहेंगे

जाओ और कहो और पुकारो। और जब तुम्हारे भीतर कुछ होने लगे तो बांटना। क्योंकि बांटने से बढ़ता है। रोकना मत; रोकने से मरता है। रोकने से सड़ता है। कितने ही स्वच्छ जल की धार क्यों न हो.......
कश्मीर में तांडव मचा है!
लेकिन न ही अवार्ड वापसी हुई;
न किसी की बीवी की देश छोड़कर जाने की इच्छा हुई!
हद है दोगलेपन की!

वहां भारतीय फौज एक "आतंकवादी" का एनकाउंटर करती है और, और कश्मीर की जनता हमारी फौज को दौडा दौडा कर पत्थर मारती है!

आज की घटना:

 भूतपूर्व सरकार का हर नेता चुप!

दिल्ली का हाहाकारी मुख्यमंन्त्री चुप!

काँग्रेस के सारे बुद्धिजीवी चुप!

संघ-मुक्त भारत करने की इच्छा रखने वाले चुप!

एन डी टी वी चैनल चुप!

ए बी पी चैनल चुप!

इन्डिया टीवी चुप!

न्यूज 24 वाले चुप!

पत्रकार चुप!

साहित्यकार चुप!

फिल्मकार चुप!

आमिर खान चुप!

सलमान खान चुप!

पाकिस्तान को करोड़ों रूपए भेजने वाला शाहरूख खान चुप!

असिहष्णुता का ढिढोरा पिटने वाले चुप!
आप चुप!

हम चुप!

सारा देश है चुप-चाप! क्यों? क्यों? क्यों ?धिक्कार है इन सब पर! लानत भेजता हू मै इन सब पर!

क्यों हम यह भूल गये कि यह वही फ़ौजी जवान है जिन्होंने पिछले बरस बाढ से पीड़ित अलगाववादी काश्मीरियो को अपनी जान पर खेलकर बचाया था!

और तो और, इन्हीं कमीनो के लिये पिछले साल हर एक फौजी ने अपनी एक दिन की सैलरी दी थी बाढ़ राहत कोष में!

अगर सच मे हम मे हिन्दुस्तानी होने का जरा भी एहसास बचा है तो करो इस पोस्ट को शेयर!

कब तक चुप रहेंगे हम?



अरे भाई अब  जागो!कुछ तो बोलो चुप्पी तोड़ो!
और सराहो हिंदुस्तानी फ़ौज़ के बहादुरी भरी कारनामों पर!

भारत माता की जय
परमात्म?सर्वार्थसंभवो देहो जनित: पोषितो यत:।
न तयोर्याति निर्वेशं पित्रोर्मत्र्य: शतायुषा

भावार्थ -सौ वर्ष की आयु प्राप्त करके भी माता-पिता के ऋण से उऋण नही हुआ जा सकता। वास्तव में जो शरीर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति का प्रमुख साधन है, उसका निर्माण तथा पालन-पोषण जिनके द्वारा हुआ है, उनके ऋण से मुक्त होना कठिन ही नही, सर्वथा असम्भव है।
सुप्रभातम
श्री राम जी की दृष्टि मात्र से लक्ष्मण ठीक हो सकते थे परन्तु कर्म को प्रधानता देते हुए सुषेन वैद्य को बुलाया और भक्त को श्रेय देते हुए हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने के लिए सुमेरु पर्वत भेजा..यही है प्रभु की माया !!

सोई जानहि जेहि देहु जनाई ।
जानत तुमहि तुमहि होइ जाई ।।

जय सिया राम जय जय सिया राम

।।संत महिमा।।👣

एक जंगल में एक संत अपनी कुटिया में रहते थे।
एक किरात (शिकारी), जब भी वहाँ से निकलता संत को प्रणाम ज़रूर करता था।

एक दिन किरात संत से बोला की बाबा मैं तो मृग का शिकार करता हूँ,
आप किसका शिकार करने जंगल में बैठे हैं.?
संत बोले - श्री कृष्ण का, और फूट फूट कर रोने लगे।

किरात बोला अरे, बाबा रोते क्यों हो ?
मुझे बताओ वो दिखता कैसा है ? मैं पकड़ के लाऊंगा उसको।

संत ने भगवान का वह मनोहारी स्वरुप वर्णन कर दिया....
कि वो सांवला सलोना है, मोर पंख लगाता है, बांसुरी बजाता है।

किरात बोला: बाबा जब तक आपका शिकार पकड़ नहीं लाता, पानी भी नही पियूँगा।

फिर वो एक जगह जाल बिछा कर बैठ गया...
3 दिन बीत गए प्रतीक्षा करते करते, दयालू ठाकुर को दया आ गयी, वो भला दूर कहाँ है,

बांसुरी बजाते आ गए और खुद ही जाल में फंस गए।

किरात तो उनकी भुवन मोहिनी छवि के जाल में खुद फंस गया और एक टक शयाम सुंदर को निहारते हुए अश्रु बहाने लगा,
जब कुछ चेतना हुयी तो बाबा का स्मरण आया और जोर जोर से चिल्लाने लगा शिकार मिल गया, शिकार मिल गया, शिकार मिल गया,

और ठाकुरजी की ओर देख कर बोला,

अच्छा बच्चु .. 3 दिन भूखा प्यासा रखा, अब मिले हो,
और मुझ पर जादू कर रहे हो।

शयाम सुंदर उसके भोले पन पर रीझे जा रहे थे एवं मंद मंद मुस्कान लिए उसे देखे जा रहे थे।

किरात, कृष्ण को शिकार की भांति अपने कंधे पे डाल कर और संत के पास ले आया।

बाबा,
आपका शिकार लाया हुँ... बाबा ने जब ये दृश्य देखा तो क्या देखते हैं किरात के कंधे पे श्री कृष्ण हैं और जाल में से मुस्कुरा रहे हैं।

संत के तो होश उड़ गए, किरात के चरणों में गिर पड़े, फिर ठाकुर जी से कातर वाणी में बोले -

हे नाथ मैंने बचपन से अब तक इतने प्रयत्न किये, आप को अपना बनाने के लिए घर बार छोडा, इतना भजन किया आप नही मिले और इसे 3 दिन में ही मिल गए...!!

भगवान बोले - इसका तुम्हारे प्रति निश्छल प्रेम व कहे हुए वचनों पर दृढ़ विश्वास से मैं रीझ गया और मुझ से इसके समीप आये बिना रहा नहीं गया।

भगवान तो भक्तों के संतों के आधीन ही होतें हैं।

जिस पर संतों की कृपा दृष्टि हो जाय उसे तत्काल अपनी सुखद शरण प्रदान करतें हैं। किरात तो जानता भी नहीं था की भगवान कौन हैं,
पर संत को रोज़ प्रणाम करता था। संत प्रणाम और दर्शन का फल ये है कि 3 दिन में ही ठाकुर मिल गए ।
यह होता है संत की संगति का परिणाम!!

"संत मिलन को जाईये तजि ममता अभिमान,
ज्यो ज्यो पग आगे बढे कोटिन्ह यज्ञ समान"
शख़्सियत अच्छी होगी तभी दुश्मन बनेंगे, वरना बुरे की तरफ़ देखता ही कौन है,

पत्थर भी उसी पेड़ पर फेंके जाते है जो फलों से लदा होता है,
देखा है, किसी को सूखे पेड़ पर पत्थर फेंकते हुए...!!!
जिन्दगी की हर तपिश को मुस्कुरा कर झेलिए साहब..!

धूप कितनी भी हो मगर समंदर सूखा नही करते ......!!!!

बी.डी.गुहा रायपुर छत्तीसगढ़

ये पैसा........
पैसा साधन है
      साध्य नहीं .....
वैभव है आराध्य नहीं
  एक सीमा के बाद
       उसकी कोई
          औक़ात
             नही
   कीमत है मूल्य नहीं
नहीं है तब तक चाहत है
पैसा है बस ! यही राहत
              है.....!
मौत!के करीब मौत!के बाद आफत ही आफत
              है ......!!
आवश्यकता अनुरूप               कमाना "शराफत" है
बेईमानी,मक्कारी ,लूट
    से कमान खुरापत
             है .....!
हो जाय जरूरत से ज्यादा
तब भी आफत ही आफत
               है ......!!
पैसा "सब-कुछ" नहीं है
  "कुछ " है  "सब "नहीं है
बस !"साधन" है" साध्य "
          नहीं ......!
ये पैसा...........!!
बी.डी.गुहा रायपुर छत्तीसगढ़
कुछ पाकर खोना है कुछ खोकर पाना है
जीवन का मतलब तो आना और जाना है

दो  पल   के  जीवन  से  इक  उम्र  चुरानी  है
जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है 

नारायण अवतार भगवान

|| नारायण अवतार भगवान
                श्री परशुराम जी महाराज की
                                संक्षिप्त जीवनकथा ||

भगवान नारायण के 6वें अवतार, भगवान श्री परशुराम जी महाराज त्रेतायुग (रामायण काल) के एक विद्वान व दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण श्रेष्ठ ऋषि थे ।

#जन्म :- वैदिक वृत्तान्तों के अनुसार भगवान श्री परशुराम जी महाराज का जन्म "ब्राह्मण महर्षि भृगुश्रेष्ठ जमदग्नि" द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप "पत्नी रेणुका" के गर्भ से, वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीय को हुआ था । वे भगवान नारायण के आवेशावतार थे । वे "ब्राह्मण कुल" के "भार्गव गोत्र" की सबसे आज्ञाकारी संतानों में से एक थे, जो सदैव अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करते थे । वे सदैव बड़ों का सम्मान करते थे और कभी भी उनकी अवहेलना नहीं करते थे । उनका भाव इस जीव सृष्टि को इसके प्राकृतिक सौंदर्य सहित जीवान्त बनाये रखा । वे चाहते थे कि यह सारी सृष्टि पशु-पक्षियों, वृक्षों, फल-फूल आदि समूची प्रकृति के लिए जीवन्त रहे । उनका कहना था कि - "राजा का धर्म वैदिक जीवन का प्रसार करना है ना कि अपनी प्रजा से आज्ञापालन करवाना ।" उन्हें "भार्गव" के नाम से भी जाना जाता है ।

#नामकरण :- पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम, जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिव जी द्वारा वरदान स्वरूप प्रदत्त "परशु" धारण किए रहने के कारण "परशुराम" कहलाये ।

#शिक्षा :- भगवान श्री परशुराम जी महाराज की आरंभिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचिक के आश्रम में प्राप्त होने के साथ ही महर्षि ऋचिक से "सारंग" नामक "दिव्य वैष्णव धनुष" और ब्रह्मर्षि कश्यप से विधिवत अविनाशी "वैष्णव मंत्र" प्राप्त हुआ । तदन्तर "कैलाश गिरीश्रृंग" पर स्थित भगवान शंकर जी के आश्रम में विघा प्राप्त कर विशिष्ट दिव्यास्त्र "विघुदभि नामक परशु" प्राप्त किया । भगवान शिव जी से उन्हें "श्री कृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्त्रोत एवं मंत्र कल्पतरू" भी प्राप्त हुए । भगवान श्री परशुराम जी महाराज द्वारा चक्रतीर्थ में किए कठिन तप से प्रसन्न होकर भगवान नारायण ने उन्हें त्रेतायुग में "राम अवतार" होने पर तेजोरहण के उपरान्त कल्पान्त पर्यन्त तपस्यारत भूलोक पर रहने का वरदान दिया । भगवान श्री परशुराम जी महाराज ने अधिकांश विघा अपने बाल्यकाल में, अपनी माता की शिक्षाओं से ही सीख ली थी ।

#कर्ण को श्राप :- कर्ण को ज्ञात नहीं था कि वो जन्म से एक क्षत्रिय है । वह स्वयं को एक शूद्र समझता रहा, लेकिन उसका सामर्थ्य छुपा न रह सका । जब भगवान श्री परशुराम जी महाराज को इसका ज्ञान हुआ तो उन्होनें कर्ण को श्राप दिया कि - "उनका सिखाया हुआ सारा ज्ञान, उसके किसी काम नहीं आयेगा, जब उसे उसकी सर्वाधिक आवश्यकता होगी ।" इसलिए जब कुरुक्षेत्र के युद्ध में कर्ण और अर्जुन आमने-सामने होते हैं, तब वह अर्जुन द्वारा मार दिया जाता है क्योंकि उस समय कर्ण को ब्रह्मास्त्र चलाने का ज्ञान ध्यान में ही नहीं रहा ।

#भूमिका :- उन्होनें सैन्य शिक्षा केवल "ब्राह्मणों" को ही थी, परंतु अपवाद स्वरूप उन्होंने भीष्म, द्रोण व कर्ण को शस्त्रविघा प्रदान की थी । उन्होंने एकादश छन्दयुक्त "शिव पंचरात्वारिंशनाम् स्त्रोत" भी लिखा । इच्छित फल प्रदाता परशुराम गायत्री है - "ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि, तन्नोपरशुराम: प्रचोदयात् !" वे पुरुषों के लिए आजीवन एक पत्नीव्रत के पक्षधर थे । वे अहंकारी और धृष्ट हैहय वंशी क्षत्रियों का पृथ्वी से "21 बार" संहार किया था । वे धरती पर "वैदिक संस्कृति" का प्रचार-प्रसार करना चाहते थे । शास्त्रों में वर्णित है कि भारत के अधिकांश ग्राम उन्हीं के द्वारा बसाये गए हैं । वे पशु-पक्षियों तक की भाषा समझते थे और उनसे बात कर सकते थे । यहाँ तक कि कई खूंखार वनैले जानवर उनके स्पर्श मात्र से ही मित्र बन जाते थे ।

#कलियुग में भगवान श्री परशुराम जी महाराज की भूमिका :- "कल्कि पुराण" के अनुसार भगवान श्री परशुराम जी महाराज भगवान नारायण के 10वें अवतार "कल्कि" के गुरू होंगे और उन्हें युद्ध की शिक्षा देंगे । वे ही कलियुग में "भगवान कल्कि" को भगवान शिव जी की तपस्या करके उनके दिव्यास्त्र को प्राप्त करने के लिए कहेंगे ।

नोट :- मित्रों ! भगवान श्री परशुराम जी महाराज की इस संक्षिप्त कथा को मैंने काफी मेहनत से लिखा है । अत: कृपया इसे अधिक से अधिक लोगों तक शेयर करें ।

🙏 धन्यवाद 🙏

🚩जय श्री परशुराम जी महाराज🚩

!! श्री परशुराम स्तोत्रम: !!

!! श्री परशुराम स्तोत्रम: !!

कराभ्यां परशुं चापं दधानं रेणुकात्मजं!
जामदग्न्यं भजे रामं भार्गवं क्षत्रियान्तकं!!१!!

नमामि भार्गवं रामं रेणुका चित्तनन्दनं!
मोचितंबार्तिमुत्पातनाशनं क्षत्रनाशनम्!!२!!

भयार्तस्वजनत्राणतत्परं धर्मतत्परम्!
गतगर्वप्रियं शूरं जमदग्निसुतं मतम्!!३!!

वशीकृतमहादेवं दृप्त भूप कुलान्तकम्!
तेजस्विनं कार्तवीर्यनाशनं भवनाशनम्!!४!!

परशुं दक्षिणे हस्ते वामे च दधतं धनुः !
रम्यं भृगुकुलोत्तंसं घनश्यामं मनोहरम्!!५!!

शुद्धं बुद्धं महाप्रज्ञापण्डितं रणपण्डितं!
रामं श्रीदत्तकरुणाभाजनं विप्ररंजनम्!!६!!

मार्गणाशोषिताभ्ध्यंशं पावनं चिरजीवनम्!
य एतानि जपेन्द्रामनामानि स कृति भवेत्!!७!!

इति श्री परशुराम स्तोत्रं संपूर्णम्!!

एक बार भगवान नारायण लक्ष्मी जी से बोले,

एक बार भगवान नारायण लक्ष्मी जी से बोले, “लोगो में कितनी भक्ति बढ़ गयी है …. सब “नारायण नारायण” करते हैं !”
..
तो लक्ष्मी जी बोली, “आप को पाने के लिए नहीं!, मुझे पाने के लिए भक्ति बढ़ गयी है!”
..
तो भगवान बोले, “लोग “लक्ष्मी लक्ष्मी” ऐसा जाप थोड़े ही ना करते हैं !”
..
तो माता लक्ष्मी बोली
कि , “विश्वास ना हो तो परीक्षा हो जाए!”
..भगवान नारायण एक गाँव में ब्राह्मण का रूप लेकर गए…एक घर का दरवाजा खटखटाया…घर के यजमान ने दरवाजा खोल कर पूछा , “कहाँ के है ?”
तो …भगवान बोले, “हम तुम्हारे नगर में भगवान का कथा-कीर्तन करना चाहते है…”
..
यजमान बोला, “ठीक है महाराज, जब तक कथा होगी आप मेरे घर में रहना…”

गाँव के कुछ लोग इकट्ठा हो गये और सब तैयारी कर दी….पहले दिन कुछ लोग आये…अब भगवान स्वयं कथा कर रहे थे तो संगत बढ़ी ! दूसरे और तीसरे दिन और भी भीड़ हो गयी….भगवान खुश हो गए..की कितनी भक्ति है लोगो में….!
लक्ष्मी माता ने सोचा अब देखा जाये कि क्या चल रहा है।
..
लक्ष्मी माता ने बुढ्ढी माता का रूप लिया….और उस नगर में पहुंची…. एक महिला ताला बंद कर के कथा में जा रही थी कि माता उसके द्वार पर पहुंची ! बोली, “बेटी ज़रा पानी पिला दे!”
तो वो महिला बोली,”माताजी ,
साढ़े 3 बजे है…मेरे को प्रवचन में जाना है!”
..
लक्ष्मी माता बोली..”पिला दे बेटी थोडा पानी…बहुत प्यास लगी है..”
तो वो महिला लौटा भर के पानी लायी….माता ने पानी पिया और लौटा वापिस लौटाया तो सोने का हो गया था!!
..
यह देख कर महिला अचंभित हो गयी कि लौटा दिया था तो स्टील का और वापस लिया तो
सोने का ! कैसी चमत्कारिक माता जी हैं !..अब तो वो महिला हाथ-जोड़ कर कहने लगी कि, “माताजी आप को भूख भी लगी होगी ..खाना खा लीजिये..!” ये सोचा कि खाना खाएगी तो थाली, कटोरी, चम्मच, गिलास आदि भी सोने के हो जायेंगे।
माता लक्ष्मी बोली, “तुम जाओ बेटी, तुम्हारा प्रवचन का टाइम हो गया!”
..
वह महिला प्रवचन में आई तो सही …
लेकिन आस-पास की महिलाओं को सारी बात बतायी….
..
अब महिलायें यह बात सुनकर चालू सत्संग में से उठ कर चली गयी !!
अगले दिन से कथा में लोगों की संख्या कम हो गयी….तो भगवान ने पूछा कि, “लोगो की संख्या कैसे कम हो गयी ?”
….
किसी ने कहा, ‘एक चमत्कारिक माताजी आई हैं नगर में… जिस के घर दूध पीती हैं तो गिलास सोने का हो जाता है,…. थाली में रोटी सब्जी खाती हैं तो थाली सोने की हो जाती है !… उस के कारण लोग प्रवचन में नहीं आते..”
..
भगवान नारायण समझ गए कि लक्ष्मी जी का आगमन हो चुका है!
इतनी बात सुनते ही देखा कि जो यजमान सेठ जी थे, वो भी उठ खड़े हो गए….. खिसक गए!
..
पहुंचे माता लक्ष्मी जी के पास ! बोले, “ माता, मैं तो भगवान की कथा का आयोजन कर रहा था और आप ने मेरे घर को ही छोड़ दिया !”
माता लक्ष्मी बोली, “तुम्हारे घर तो मैं सब से पहले आनेवाली थी ! लेकिन तुमने अपने घर में जिस कथा कार को ठहराया है ना , वो चला जाए तभी तो मैं आऊं !”
सेठ जी बोले, “बस इतनी सी बात !…
अभी उनको धर्मशाला में कमरा दिलवा देता हूँ !”
..
जैसे ही महाराज (भगवान्) कथा कर के घर आये तो सेठ जी बोले, “
"
महाराज आप अपना बिस्तर बांधो ! आपकी व्यवस्था अबसे धर्मशाला में कर दी है !!”
महाराज बोले, “ अभी तो 2/3 दिन बचे है कथा के…..यहीं रहने दो”
सेठ बोले, “नहीं नहीं, जल्दी जाओ ! मैं कुछ नहीं सुनने वाला ! किसी और मेहमान को ठहराना है। ”
..
इतने में लक्ष्मी जी आई , कहा कि, “सेठ जी , आप थोड़ा बाहर जाओ… मैं इन से निबट लूँ!”
माता लक्ष्मी जी भगवान् से बोली, “
"
प्रभु , अब तो मान गए?”
भगवान नारायण बोले, “हां लक्ष्मी तुम्हारा प्रभाव तो है, लेकिन एक बात तुम को भी मेरी माननी पड़ेगी कि तुम तब आई, जब संत के रूप में मैं यहाँ आया!!
संत जहां कथा करेंगे वहाँ लक्ष्मी तुम्हारा निवास जरुर होगा…!!”
यह कह कर नारायण भगवान् ने वहां से बैकुंठ के लिए विदाई ली। अब प्रभु के जाने के बाद अगले दिन सेठ के घर सभी गाँव वालों की भीड़ हो गयी। सभी चाहते थे कि यह माता सभी के घरों में बारी 2 आये। पर यह क्या ? लक्ष्मी माता ने सेठ और बाकी सभी गाँव वालों को कहा कि, अब मैं भी जा रही हूँ। सभी कहने लगे कि, माता, ऐसा क्यों, क्या हमसे कोई भूल हुई है ? माता ने कहा, मैं वही रहती हूँ जहाँ नारायण का वास होता है। आपने नारायण को तो निकाल दिया, फिर मैं कैसे रह सकती हूँ ?’ और वे चली गयी।
शिक्षा : जो लोग केवल माता लक्ष्मी को पूजते हैं, वे भगवान् नारायण से दूर हो जाते हैं। अगर हम नारायण की पूजा करें तो लक्ष्मी तो वैसे ही पीछे 2 आ जाएँगी, क्योंकि वो उनके बिना रह ही नही सकती । ✅
🅾जहाँ परमात्मा की याद है।
वहाँ लक्ष्मी का वास होता है।
केवल लक्ष्मी के पीछे भागने वालों को न माया मिलती ना ही राम।🅾
सम्पूर्ण पढ़ने के लिए धन्यबाद .
इसे सबके साथ बाँटकर आत्मसात् करें।
ज्ञान बांटने से बढ़ता है
और केवल अपने पास रखने से
खत्म हो जाता
है

जय श्री राम👏👏👏👏
एक बार एक कुत्ते और गधे के बीच शर्त लगी कि जो जल्दी से जल्दी दौडते हुए दो गाँव आगे रखे एक सिंहासन पर बैठेगा...
 वही उस सिंहासन का अधिकारी माना जायेगा, और राज करेगा.

जैसा कि निश्चित हुआ था, दौड शुरू हुई.

कुत्ते को पूरा विश्वास था कि मैं ही जीतूंगा.

क्योंकि ज़ाहिर है इस गधे से तो मैं तेज ही दौडूंगा.

पर अागे किस्मत में क्या लिखा है ... ये कुत्ते को मालूम ही नही था.

शर्त शुरू हुई .

कुत्ता तेजी से दौडने लगा.

 पर थोडा ही आगे गया न गया था कि अगली गली के कुत्तों ने उसे लपकना ,नोंचना ,भौंकना शुरू किया.

और ऐसा हर गली, हर चौराहे पर होता रहा..

जैसे तैसे कुत्ता हांफते हांफते सिंहासन के पास पहुंचा..

तो देखता क्या है कि गधा पहले ही से सिंहासन पर विराजमान है.

तो क्या...!  
   गधा उसके पहले ही वहां पंहुच चुका था... ?

और शर्त जीत कर वह राजा बन चुका था.. !

और ये देखकर

निराश हो चुका कुत्ता बोल पडा..

अगर मेरे ही लोगों ने मुझे आज पीछे न खींचा होता तो आज ये गधा इस सिंहासन पर न बैठा होता ...

तात्पर्य ...

१. अपने लोगों को काॅन्फिडेंस में लो.

२. अपनों को आगे बढने का मौका दो,  उन्हें मदद करो.

३. नही तो कल बाहरी गधे हम पर राज करने लगेंगे.

४. पक्का विचार और आत्म परीक्षण करो.

⭐जो मित्र आगे रहकर होटल के बिल का पेमेंट करतें हैं, वो उनके पास खूब पैसा है इसलिये नही ... ⭐

⭐बल्कि इसलिये.. कि उन्हें मित्र  पैसों से अधिक प्रिय हैं ⭐

⭐ऐसा नही है कि जो हर काम में आगे रहतें हैं वे मूर्ख होते हैं, बल्कि उन्हें अपनी जवाबदारी का एहसास हरदम बना रहता है इसलिये  ⭐

⭐जो लडाई हो चुकने पर पहले क्षमा मांग लेतें हैं, वो इसलिये नही, कि वे गलत थे... बल्कि उन्हें अपने लोगों की परवाह होती है इसलिये.⭐

⭐जो तुम्हे मदद करने के लिये आगे आतें हैं वो तुम्हारा उनपर कोई कर्ज बाकी है इसलिये नही... बल्कि वे तुम्हें अपना मानतें हैं इसलिये⭐

⭐जो खूब फैशबुक वहाटसप  पोस्ट भेजते रहतें हैं वो इसलिये नही कि वे निरे फुरसती होतें हैं ...
बल्कि उनमें सतत आपके संपर्क में बनें रहने की इच्छा रहती है ... इसलिये ⭐

मैं परशुराम बोल रहा हूँ... ================

मैं परशुराम बोल रहा हूँ...
================

मैं, तुम्हारा पूर्वज,
परशुराम बोल रहा हूँ...
अपने जीवन के कुछ,
रहस्य खोल रहा हूँ ..../१/

माँ रेणुका, पिता जमदग्नि
ये सब जानते हैं
विष्णु का छठा अवतार
मुझे सब मानते हैं .../२/

मैं भृगु वंश में जन्मा
पितामह त्रिकालदर्शी थे
भृगुसंहिता के प्रणेता
दिव्यदृष्टि वाले महर्षि थे,,/३/

पांच भाइयों में सबसे छोटा
घर भर का दुलारा था
माँ- बाप ने ‘राम’ कहा
जग ने परशुराम पुकारा था.../४/

मेरे आगमन का ध्येय विशेष
मैं विष्णु का आवेशावतार था
मिथ्या दंभ से धरा तप्त थी
मेरा कर्म उद्दंडियों का संहार था.../५/

नानी के छल के कारण
मैं ब्राह्मण कुल में जन्मा था
ब्राह्मण होकर भी क्षत्रियत्व
मेरी रगों में पनपा था.../६/

परम विदुषी माँ रेणुका ने
सर्वप्रथम मुझे ज्ञान दिया था
आज्ञापालन और प्रकृति प्रेम का
बेशकीमती संज्ञान दिया था../७/

विश्वामित्र मेरे परम गुरु
ऋचीक आश्रम विद्यास्थली रहा
शिव ने सिखाया रण मुझे
इसीलिए तो मैं महाबली रहा../८/

महामनाओं की कृपा मुझ पर
अनंत और अनवरत रही
दिव्य शस्त्र और दिव्य मंत्र मिले
तन पर अभेद परत रही.../९/

विद्युदभि नामक विशाल फरसा
श्रीकृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच,
शिव गुरु ने प्रदान किया था
स्तवराज स्तोत्र एवं मन्त्र कल्पतरु
के साथ साथ महादेव ने मुझे
सहृदयता से विद्यादान दिया था../१०/

चक्रतीर्थ में मेरे कठिन तप ने
विष्णु को प्रसन्न कर दिया था
उन्होंने मुझे कल्पान्त पर्यन्त
भूलोक पर रहने का वर दिया../११/

क्षणिक कमजोरी के वशीभूत
माँ ने एक पाप किया था
परपुरुष पर मोहित होने का
पिता ने बहुत संताप किया था../१२/

पितृ आदेश से मैंने फिर
माँ-भ्राताओं का वध कर डाला
आज्ञा पालन से अभिभूत पिता ने
मुझे स्नेहिल बाहों में भर डाला../१३/

कोमल हृदय पिता ने मुझे
बहुमूल्य वरदान दिया था
मेरी याचना पर माँ-भ्राताओं को
फिर से जीवन दान दिया था.../१४/

 हैहय वंशाधिपति का‌र्त्तवीर्यअर्जुन
सहस्त्रार्जुन कहलाया था
दत्तात्रेय को तप से प्रसन्न कर
हजार बाहुओं का वर पाया था.../१५/

बड़ी शक्ति ने सहस्त्रार्जुन को
स्वेच्छाचारी बना दिया था
उसने वो हर काम किया
जिसके लिए उसे मना किया था .../१६/

सहस्त्रार्जुन के आश्रम प्रवास पर
पूज्य पिता ने उपकार किया था
सैन्यबल सहित राजा का
भरपूर अतिथि सत्कार किया था ../१७/

कामधेनु कपिला के प्रताप से
धनधान्य भरपूर था
आश्रम का वैभव देखकर
राजा का दर्प चकनाचूर था .../१८/

कपिला को हड़प जाने को
सहस्त्रार्जुन ललचाया था
चोरी जैसे नीच कर्म पर
‘प्रजापालक’ उतर आया था .../१९/

इस बलात हरण का तब मैंने
पुरजोर प्रतिकार किया था
फरसे से हजार भुजाएं काट डाली
लुटेरे का संहार किया था ---/२०/

मेरी अनुपस्थिति में राजपुत्रों ने
ध्यानस्थ पिता की हत्या कर दी
इस कायरतापूर्ण कुकर्म ने मन में
ऐसे क्षत्रियों के प्रति जुगुप्सा भर दी .../२१/

माँ रेणुका सती हो गईं
पल में मैंने माँ- बाप खो दिए थे
इस अपूरणीय क्षति ने
भावी हाहाकार के बीज बो दिए थे ../२२/

मेरे जीवन का एकमेव ध्येय
मातृभूमि का उपचार करना था
फरसे के प्रहार से पापियों का
पापयुक्त दूषित जीवन हरना था.../२३/

इक्कीस बार भू  को मैंने
पापीयों से विमुक्त किया था
जगत वन्दनीय धरा को
आततायी रक्त से सिक्त किया था ../२४/

अहा!! कैसा रक्तिम समय वह
कितना प्रचंड दौर था
दसों दिशाओं में त्राहि त्राहि का
खूब मर्मान्तक शोर था .../२५/

पांच सरोवर दूषित रक्त से
मैंने सराबोर किये थे
सहस्त्रार्जुन सुतों के रक्त से
पिता के श्राद्ध घनघोर किये थे .../२६/

अश्वमेघ यज्ञ पूर्ण कर
अपनी शक्ति का जग को भान दिया
सप्तद्वीप युक्त भूमंडल
फिर महर्षि कश्यप को दान दिया .../२७/

महर्षि ऋचीक प्रकट हुए
उन्होंने मुझे शांत किया था
शस्त्र त्याग कर फिर मैंने
महेंद्र पर्वत पर विश्राम किया था .../२८/

मुझसे शस्त्र विद्या सीखने
कईं विभूतियाँ आती रहीं
भीष्म, द्रोण, कर्ण जैसी हस्तियाँ
मुझसे ज्ञान पाती रहीं .../२९/

पशु-पक्षियों का और मेरा
आपस में बहुत प्यार था
उनके संग संततियों सा मेरा
प्रेमपूर्ण भावुक व्यवहार था .../३०/

काव्य से प्रेम था मुझे मैं,
शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र का रचनाकार रहा
मेरे द्वारा रचित परशुराम गायत्री
इच्छित फल पाने का अचूक आधार रहा.../३१/

स्त्री स्वातंत्र्य का पक्षधर मैं
मैंने बहु पत्नी विवाह पर आघात किया
अनसूया  लोपामुद्रा के सहयोग से
नारी-जागृति-अभियान का सूत्रपात किया .../३२/

आज अक्षय तृतीया है
तुम मेरा जन्मदिन मनाओगे
मेरी जीवन गाथा
तुम सभी को सुनाओगे..../३३/

मेरा आशीष है तुमको
ज्ञानवान बनो विद्यादान करो
सुसुप्त पड़ी हैं शक्तियां
अपनी क्षमता की पहचान करो।
🌹🚩🚩🚩🚩🚩🌹

।।🙏जय परशुराम ।।🙏

अगर लोग केवल जरुरत पर

अगर लोग केवल जरुरत पर
ही आपको याद करते है तो
बुरा मत मानिये बल्कि गर्व कीजिये,

क्योंकि मोमबत्ती की याद तभी आती है,
जब अंधकार होता है !!

Friday, April 28, 2017


English Sikhe


School Name: LIFE

School Name: LIFE

Class: 30th Standard

(All students are above 30 years)

ANGER - Present sir
EGO - Present sir
STRUGGLE - Present sir
ENVY - Present sir
REGRET - Present sir
ANXIETY - Present sir
BOREDOM - Present sir

DESIRES - Present sir (in full volume)

FRUSTRATION - Present sir
IRRITATION - Present sir

MONTHLY EMI - Present sir (in full volume)

OFFICE TENSION - Present sir
FUTURE TENSION - Present sir
TROUBLE - Present sir
HURDLES - Present sir
WORRIES - Present sir
PROBLEMS - Always Present sir
UNCERTAINTIES - Present sir
CRITICISM - Present sir
GREED - Present sir
ARROGANCE - Present sir
HALF KNOWLEDGE - Present sir

HAPPINESS - ??? (no sound)
HAPPINESS - ???
HAPPINESS - Absent sir

PEACE OF MIND - Absent sir
CONTENTMENT - Absent sir
FULL KNOWLEDGE - Absent sir
WISDOM - Always on the way, stopped by Ego
LOVE - Sleeping/Missing sir
Hope - Leaving sir
PATIENCE - Lost sir
GENEROSITY - Lost sir
HONESTY - Lost sir
TRUST - Lost sir
LOYALTY - Lost sir

CLASS TEACHER: In life, there is nothing called sadness. Either Happiness is Present or Happiness is  Absent.

Life is very simple to live, but many find it difficult to be simple.

MAKE IT SIMPLE!
Have a fabulous Life
________
Brilliant words: "The amount of money that's in your bank at the time of death, is the extra work you did which was not necessary" 😊

A renowned Gujju film producer planned to remake Hollywood classic.

A renowned Gujju film producer planned  to remake Hollywood classic.

"The Good ,The Bad,The Ugly " in Gujarati.
After lot of brainstorming                                                                                          
He named it  ....  

Hoon, mari bayri ne mari saasu   😜😂😂😁

सुप्रभात

सुप्रभात

     जिदंगी " बेहतर " तब होती है
       जब आप खुश होते है...
    लेकिन जिंदगी "बेहतरीन" तब
    होती है जब आपकी वजह से
          कोइ खुश होते है ।।
                             
       🌹 सुभप्रभात 🌹
     🌹हर हर महादेव 🌹

कभी कभी..,

 कभी कभी..,
"मजबूत हाथों" से पकड़ी हुई,
"उँगलियाँ" भी छूट जाती हैं...;
                  क्योकि
       "रिश्ते"ताकत से नहीं,
                दिल से
             निभाये जाते हैं...!!

🌹 Have A Nice Day☘

भूल होना "प्रकृत्ति" है,*

🌹भूल होना "प्रकृत्ति" है,*
मान लेना "संस्कृति" है,
और उसे सुधार लेना "प्रगति" है.

A man came home from the mine were he works...

A man came home from the mine were he works...
very sad and stressed, the wife asks "Babe what's wrong",

the man says
"All the people I'm working with died."

Wife: "What happened??"

Man: "The lift cables were cut and the lift lost control and kill all of them."

Wife: "How did u survive??"

Man: "Had running stomach so I went to the toilet...
when coming back, they were gone,
and the families will receive $10 million each."

Wife: "Daaaaamn!!
You mean i have lost $10 million because of your shit??🙈😂
🌺 PATIENCE is Not The Ability To Wait, But The Ability To Keep A GOOD ATTITUDE While Waiting...🌺

Good Morning........💐
When opportunity knocks, please answer the door. Don't keep asking who is it.

GOOD MORNING
HV NC WEEKEND

जिंदगी ......

जिंदगी ......
तन्हा-तन्हा जिंदगी......
रिश्तों में दरार......
दरारों में तन्हा जिंदगी.....
क्यों जी रहे.......!
कैसे !जी रहे........?
बस !किश्तों में "सी"रहे
जिंदगी .......!
मुट्टी में रेत सामान  न रूकती न संभालती
बस !फिसलती जा रही
जिंदगी ........!
चैन न शुकून फिर भी
जिए जा रहे
जिंदगी ........!
सबके अपने "गम" है
"ग़मों" के साथ बीत रही
जिंदगी......!
कौन !किसका !गम बांटे.......!
सब ! ग़मज़दा है हमदर्द
नहीं कोई......
"हंसी"और"मुस्कुराहटें"....
"अधर"पर आते-आते किश्तों बट कर "खो" गई
जिंदगी........!
हर शख्श परेशां क्यूँ है...!
सवालों के जबाब
जबाबों के सवाल बन गई
जिंदगी........!
मृत्यु !"अटल" सत्य है ....!
एक मुश्त ......
जाने क्यूँ किश्तों में रुला रही है
जिंदगी .......!
मुट्ठी में रेत सी फिसलती
तन्हा-तन्हा संवरती बिखरती
जिंदगी........!

उठियें

उठियें
जल्दी घर के सारें, घर में होंगे पौबारें।

लगाइये
सवेरे मंजन, रात को अंजन।

कीजियें
मालिश तीन बार, बुध, शुक्रवार और सोमवार।

नहाइए
पहले पाँव फिर हाथ ,मुँह, फिर सिर

खाइयें
दाल, रोटी, चटनी कितनी भी हो कमाई अपनी।

पीजिये
दूध खड़े होकर, दवा पानी बैठ कर।

खिलाइये
आयें को रोटी, चाहें पतली हो या मोटी।

पिलाइए
प्यासे को पानी, चाहे हो जावे कुछ हानि।

छोडियें
अमचूर की खटाई, रोज की मिठाई।

करियें
आयें का मान, जाते का सम्मान।

सीखियें
बड़ो की सीख और बुजुर्गों की रीत।

जाईये
दुःख में पहले, सुख में पीछे।

देखियें
माता की ममता, पत्नी का धर्म।

ब्याहियें
ऐसी नार से, जो घर में रहे प्यार से।

परखिये
चाहे सबको, छोड़ देना माता को।

भगाइए
मन के डर को, बुड्डे वर को।

धोइये
दिल की कालिख को, कुटुम्ब के दाग को।

सोचिएं
एकांत में, करो सबके सामने।

बोलिएं
कम से कम, कर दिखाओ ज्यादा।

चलियें
तो अगाड़ी, ध्यान रहे पिछाड़ी।

सुनियें
सबो की, करियें मन की।

बोलियें
जबाब संभल कर, थोडा बहुत पहचान कर।

सुनियें
पहले पराएं की, पीछे अपने की।

रखियें
याद कर्ज के चुकाने की, मर्ज के मिटाने की।

भुलियें
अपनी बडाई को और दूसरों की भलाई को।

छिपाइएं
उमर और कमाई चाहे पूछे सगा भाई।

लिजियें
जिम्मेदारी उतनी, सम्भाल सके जितनी।

धरियें
चीज जगह पर, जो मिल जावें वक्त पर।

उठाइये
सोते हुए को नहीं गिरकर गिरे हुयें को।

लाइयें
धर में चीज उतनी काम आवे जितनी।

गाइये
सुख में राम को और दुःख मे सीताराम  को

अक्षय तृतीया का महत्व क्यों है जानिए कुछ महत्वपुर्ण जानकारी

अक्षय तृतीया का महत्व क्यों है जानिए कुछ महत्वपुर्ण जानकारी

-🙏 आज  ही के दिन माँ गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था ।
 🙏 महर्षी परशुराम का जन्म आज ही के दिन हुआ था|
🙏- माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था
🙏- द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज ही के दिन बचाया था ।
🙏- कृष्ण और सुदामा का मिलन आज ही के दिन हुआ था ।
🙏- कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था ।
🙏- सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ आज ही के दिन हुआ था ।
🙏- ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था ।
🙏- प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है ।
🙏- बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते है अन्यथा साल भर वो बस्त्र से ढके रहते है ।
🙏- इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था ।
🙏- अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है

चरण स्पर्श का विज्ञान

चरण स्पर्श का विज्ञान
 पुराने समय से ही परंपरा चली आ रही है कि जब भी हम किसी विद्वान व्यक्ति या उम्र में बड़े व्यक्ति से मिलते हैं तो उनके पैर छूते हैं। इस परंपरा को मान-सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। इस परंपरा का पालन आज भी काफी लोग करते हैं। चरण स्पर्श करने से धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों तरह के लाभ प्राप्त होते हैं।
चरण छूकर प्रणाम करने के  ग्यारह प्रामाणिक लाभ हैं।
1. चरण छूने का मतलब है पूरी श्रद्धा के साथ किसी के आगे नतमस्तक होना. इससे विनम्रता आती है और मन को शांति मिलती है. साथ ही चरण छूने वाला दूसरों को भी अपने आचरण से प्रभावित करने में कामयाब होता है।
2. जब हम किसी आदरणीय व्यक्ति के चरण छूते हैं, तो आशीर्वाद के तौर पर उनका हाथ हमारे सिर के उपरी भाग को और हमारा हाथ उनके चरण को स्पर्श करता है. ऐसी मान्यता है कि इससे उस पूजनीय व्यक्ति की पॉजिटिव एनर्जी आशीर्वाद के रूप में हमारे शरीर में प्रवेश करती है. इससे हमारा आध्यात्मिक तथा मानसिक विकास होता है।
3. शास्त्रों में कहा गया है कि हर रोज बड़ों के अभि‍वादन से आयु, विद्या, यश और बल में बढ़ोतरी होती है।
4. इसका वैज्ञानिक पक्ष इस तरह है: न्यूटन के नियम के अनुसार, दुनिया में सभी चीजें गुरुत्वाकर्षण के नियम से बंधी हैं. साथ ही गुरुत्व भार सदैव आकर्षित करने वाले की तरफ जाता है. हमारे शरीर पर भी यही नियम लागू होता है. सिर को उत्तरी ध्रुव और पैरों को दक्षिणी ध्रुव माना गया है. इसका मतलब यह हुआ कि गुरुत्व ऊर्जा या चुंबकीय ऊर्जा हमेशा उत्तरी ध्रुव से प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव की ओर प्रवाहित होकर अपना चक्र पूरा करती है. यानी शरीर में उत्तरी ध्रुव (सिर) से सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव (पैरों) की ओर प्रवाहित होती है. दक्षिणी ध्रुव पर यह ऊर्जा असीमित मात्रा में स्थिर हो जाती है. पैरों की ओर ऊर्जा का केंद्र बन जाता है. पैरों से हाथों द्वारा इस ऊर्जा के ग्रहण करने को ही हम 'चरण स्पर्श' कहते हैं।
5. चरण स्पर्श और चरण वंदना भारतीय संस्कृति में सभ्यता और सदाचार का प्रतीक है।
6. माना जाता है कि पैर के अंगूठे से भी शक्ति का संचार होता है. मनुष्य के पांव के अंगूठे में भी ऊर्जा प्रसारित करने की शक्ति होती है।
7. मान्यता है कि बड़े-बुजुर्गों के चरण स्पर्श नियमित तौर पर करने से कई प्रतिकूल ग्रह भी अनुकूल हो जाते हैं।
8. इसका मनोवैज्ञानिक पक्ष यह है कि जिन लक्ष्यों की प्राप्त‍ि को मन में रखकर बड़ों को प्रणाम किया जाता है, उस लक्ष्य को पाने का बल मिलता है।
9. यह एक प्रकार का सूक्ष्म व्यायाम भी है. पैर छूने से शारीरिक कसरत होती है. झुककर पैर छूने, घुटने के बल बैठकर प्रणाम करने या साष्टांग दंडवत से शरीर लचीला बनता है।
10. आगे की ओर झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद है।
11. प्रणाम करने का एक फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है. इन्हीं कारणों से बड़ों को प्रणाम करने की परंपरा को नियम और संस्कार का रूप दे दिया गया है।
 जब कोई हमारे  पैर छुए तो उन्हें आशीर्वाद तो देना ही चाहिए, साथ ही भगवान या अपने इष्टदेव को भी याद करना चाहिए। आमतौर पर हम यही प्रयास करते है कि हमारा पैर किसी को न लगे, क्योंकि ये अशुभ कर्म माना गया है। जब कोई हमारे पैर छूता है तो हमें इससे भी दोष लगता है। इस दोष से बचने के लिए मन ही मन भगवान से क्षमा मांगनी चाहिए।
ध्यान रखने वाली बात यह है कि केवल उन्हीं के चरण स्पर्श करना चाहिए, जिनके आचरण ठीक हों. 'चरण' और 'आचरण' के बीच भी सीधा सम्बन्ध है!!....
हर हर महादेव

"प्याज "के संबध में महत्वपूर्ण जानकारी -अवश्य पढ़े

"प्याज "के संबध में महत्वपूर्ण जानकारी -अवश्य पढ़े
सन 1919 में फ्लू से चार करोड़ लोग मारे जा चुके थे तब एक डॉक्टर कई किसानों से उनके घर इस प्रत्याशा में मिला कि वो कैसे इन किसानों को इस महामारी से लड़ने में सहायता कर सकता है। बहुत सारे किसान इस फ्लू से ग्रसित थे और उनमें से बहुत से मारे जा चुके थे।
डॉक्टर जब इनमें से एक किसान के संपर्क में आया तो उसे ये जान कर बहुत आश्चर्य हुआ जब उसे ये ज्ञात हुआ कि सारे गाँव के फ्लू से ग्रसितहोने के बावजूद ये किसान परिवार बिलकुल  बिलकुल स्वस्थ्य था तब डॉक्टर को ये जानने की इच्छा जाएगी कि ऐसा इस किसान परिवार ने सारे गाँव से हटकर क्या किया कि वो इस भंयकर महामारी में भी स्वस्थ्य थे। तब किसान की पत्नी ने उन्हें बताया कि उसने अपने मकान के दोनों कमरों में एक प्लेट में बिना छिली प्याज रख दी थी तब डॉक्टर ने प्लेट में रखी इन प्याज में से क को माइक्रोस्कोप से देखा तो उसे इस प्याज में उस घातक फ्लू के बैक्टेरिया मिले जो संभवतया इन प्याज द्वारा अवशोषित कर लिए गए थे और शायद यही कारण था कि इतनी बड़ी महामारी में ये परिवार बिलकुल स्वस्थ्य क्योंकि फ्लू के वायरस इन प्याज द्वारा सोख लिए गए थे।
जब मैंने अपने एक मित्र जो अमेरिका में रहते थे और मुझे हमेशा स्वास्थ्य संबधी मुद्दों पर  बेहद ज्ञानवर्धक जानकारी भेजते रहते हैं तब उन्होंने प्याज के संबध में बेहद महत्वपूर्ण जानकारी/अनुभव मुझे भेजा करते हैं ।  उन्होंने  मुझे  इस कहानी को भेजा। उनकी इस बेहद रोचक कहानी के लिए धन्यवाद। क्योंकि मुझे इस  किसान वाली कहानी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। जब मैं न्यूमोनिया से ग्रसित था और कहने की आवश्यकता नहीं थी कि मैं बहुत कमज़ोर महसूस कर रहा था तब मैंने एक लेख पढ़ा था जिसमें ये बताया गया था कि प्याज को बीच से काटकर रात में  न्यूमोनिया से ग्रस्त मरीज़ के कमरे में एक जार में रख दिया गया था और सुबह यह देख कर बेहद आश्चर्य हुआ कि प्याज सुबह कीटाणुओं की वज़ह से  बिलकुल काली हो गई थी तब मैंने भी अपने कमरे में वैसे ही किया और देखा अगले दिन प्याज बिलकुल काली होकर खराब हो चुकी थी और मैं काफी स्वस्थ्य महसूस कर रहा था।

कई बार हम पेट की बीमारी से दो चार होते है तब हम इस बात से अनजान रहते है कि इस बीमारी के लिए किसे दोषी ठहराया जाए। तब नि :संदेह प्याज को इस बीमारी के लिए दोषी ठहराया जा सकता है ,प्याज बैक्टेरिया को अवशोषित कर लेती है यही कारण है  कि अपने इस गुण के कारण प्याज हमें ठण्ड और फ्लू से बचाती है अत :वे प्याज बिलकुल नहीं खाना चाहिए जो बहुत देर पहल काटी गई हो और प्लेट में रखी गई हों। ये जान लें कि "काट कर रखी गई प्याज बहुत विषाक्त होती हैं "

जब कभी भी फ़ूड पॉइसनिंग के केस अस्पताल में आते हैं तो सबसे पहले इस बात की जानकारी ली जाती कि मरीज़ ने अंतिम बार प्याज कब खाई थी. और वे प्याज कहाँ से आई थीं ,(खासकर सलाद  में )तब इस बीमारी के लिए या तो प्याज दोषी हैं या काफी देर पहले कटे हुए "आलू "
प्याज बैक्टेरिया के लिए "चुंबक "की तरह काम करती  हैं खासकर कच्ची प्याज। आप कभी भी थोड़ी सी भी  कटी हुई प्याज को देर तक रखने की गलती न करे ये बेहद खतरनाक  हैं यहाँ तक कि किसी बंद थैली में इसे रेफ्रिजरेटर में रखना भी  सुरक्षित नहीं  है। प्याज ज़रा सी काट देने पर ये बैक्टेरिया से ग्रसित हो सकती है औए आपके लिए खतरनाक हो सकती है। यदि आप कटी हुई प्याज को सब्ज़ी बनाने के लिए उपयोग कर रहें हो तब तो ये ठीक है मगर यदि आप कटी हुई प्याज अपनी ब्रेड पर रख कर खा रहें है तो ये बेहद खतरनाक है ऐसी स्थिति में आप मुसीबत को न्योता दे रहें हैं। याद रखे कटी हुई प्याज और कटे हुए आलू की नमी बैक्टेरिया को तेज़ी से  पनपने में बेहद सहायक होता है। कुत्तों  को  कभी भी प्याज नहीं खिलाना चाहिए  क्योंकि प्याज को  उनका पेट का मेटाबोलिज़ कभी भी   नहीं पचाता।

कृपया ध्यान रखे कि "प्याज को काट कर अगले दिन सब्ज़ी बनाने के लिए नहीं रखना चाहिए क्योंकि ये बहुत खतरनाक है यहाँ तक कि कटी हुई प्याज एक रात में बहुत विषाक्त हो जाती है क्योंकि ये टॉक्सिक बैक्टेरिया बनाती है जो पेट खराब करने के लिए पर्याप्त रहता है "

हरिॐ मंगल कामना

हरिॐ
मंगल कामना

तू धार है नदिया की मैं तेरा किनारा हूँ
तू  मेरा  सहारा   है  मैं  तेरा  सहारा   हूँ

आंखों  में  समंदर  है  आशाओं का पानी है
जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है 

शुभ प्रभात

🌞⛳ शुभ प्रभात ⛳🙏🏻

✍ जो "प्राप्त" है वो "पर्याप्त   है।
इन दो शब्दों में सुख बेहिसाब है ।।
जो इंसान "खुद"के लिये जीता है
उसका एक दिन "मरण" होता है ।
पर जो इंसान "दूसरों" के लिये जीता है
*उसका हमेशा "स्मरण" होता है।

WOMAN. . . . . . . . .

WOMAN. . . . . . . . .

When God created woman he was working late on the 6th day.......

An angel came by and asked." Why spend so much time on her?"

The lord answered. "Have you seen all the specifications I have to meet to shape her?"

●She must function on all kinds of situations.
●She must be able to embrace several kids at the same time.
●Have a hug that can heal anything from a bruised knee to a broken heart.
●She must do all this with only two hands.
●She cures herself when sick and can work 18 hours a day.

THE ANGEL was impressed" Just two hands.....impossible!

And this is the standard model?"

The Angel came closer and touched the woman.
"But you have made her so soft, Lord".
"She is soft", said the Lord,
"But I have made her strong. You can't imagine what she can endure and overcome"

"Can she think?" The Angel asked...
The Lord answered. "Not only can she think, she can reason and negotiate".

The Angel touched her cheeks....
"Lord, it seems this creation is leaking! You have put too many burdens on her".
"She is not leaking...it is a tear". The Lord corrected the Angel…

"What's it for?" Asked the Angel..... .
The Lord said. "Tears are her way of expressing her grief, her doubts, her love, her loneliness, her suffering and her pride."...

This made a big impression on the Angel,
"Lord, you are a genius. You thought of everything.
A woman is indeed marvellous"

Lord said ."Indeed she is.
■She has strength that amazes a man.
■She can handle trouble and carry heavy burdens.
■She holds happiness, love and opinions.
■She smiles when she feels like screaming.
■She sings when she feels like crying, cries when happy and laughs when afraid.
■She fights for what she believes in.
■Her love is unconditional.
■Her heart is broken when a next-of-kin or a friend dies but she finds strength to get on with life"

The Angel asked: So she is a perfect being?
The lord replied: No. She has just one drawback.
"She often forgets what she is worth".

Send it to all the women u respect ....👍
And to all men who respect woman 👍👍
Being a woman is priceless

!! श्री परशुराम स्तोत्रम: !!

!! श्री परशुराम स्तोत्रम: !!

कराभ्यां परशुं चापं दधानं रेणुकात्मजं!
जामदग्न्यं भजे रामं भार्गवं क्षत्रियान्तकं!!१!!

नमामि भार्गवं रामं रेणुका चित्तनन्दनं!
मोचितंबार्तिमुत्पातनाशनं क्षत्रनाशनम्!!२!!

भयार्तस्वजनत्राणतत्परं धर्मतत्परम्!
गतगर्वप्रियं शूरं जमदग्निसुतं मतम्!!३!!

वशीकृतमहादेवं दृप्त भूप कुलान्तकम्!
तेजस्विनं कार्तवीर्यनाशनं भवनाशनम्!!४!!

परशुं दक्षिणे हस्ते वामे च दधतं धनुः !
रम्यं भृगुकुलोत्तंसं घनश्यामं मनोहरम्!!५!!

शुद्धं बुद्धं महाप्रज्ञापण्डितं रणपण्डितं!
रामं श्रीदत्तकरुणाभाजनं विप्ररंजनम्!!६!!

मार्गणाशोषिताभ्ध्यंशं पावनं चिरजीवनम्!
य एतानि जपेन्द्रामनामानि स कृति भवेत्!!७!!

श्री वासुदेवानंदसरस्वती विरचितं श्री परशुराम स्तोत्रं!💐

अहंकार का भाव ना रखूँ,

अहंकार का भाव ना रखूँ,
         नहीं किसी पर क्रोध करूँ,
         देख दूसरों की बढ़ती को,
         कभी ना ईष्या भाव रखूँ,
         रहे भावना ऐसी मेरी,
         सरल सत्य व्यवहार करूँ,
         बने जहाँ तक इस जीवन में,
         औरों का उपकार करूँ ।।
           
         सदा मुस्कुराते रहो ।
              सुप्रभात🙏🏽🙏🏽

THE SCIENCE BEHIND TEMPLE BELLS

🔔 THE SCIENCE BEHIND TEMPLE BELLS 🔔

Most of the old temples 🚩 have large bells 🔔 at the entrance of the temple 🚩 and you need to ring 🔔 them before you enter temple.

Temple bells🔔 have a scientific phenomena; it is not just your ordinary metal.

It is made of various metals including
🔴cadmium,
🔘lead,
🔶copper,
🔷zinc,
◽nickel,
🔱chromium
and
🔵manganese.

The proportion at which each one of them mixed ❄ is real science behind a bell. 🔔

Each of these bells 🔔 is made to produce such a distinct sound 🌟 ⚡that it can create unity of your 🌜left and right 🌛 brain.

The moment you ring that bell, 🔔 bell produces a sharp but lasting sound ⚡which lasts for minimum of seven 7⃣ seconds in echo 📡 mode good enough to touch your seven healing centres 😇 or chakras in your body.

The moment the bell 🔔 is sounded, your brain is emptied of all thoughts.

Invariably you will enter the state where you are very receptive. 😑

This Trans state is the one with awareness.

Your mind is so pre-occupied 😨 that the only way to awaken you is with a Shock! ⚡💫

🔔 Bell works as Anti-dote to your mind. Before you enter temple – to awake you and prepare you for taste of awareness is the real reason behind the tradition of ringing the temple bells. 🔔🔔🔔

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जय श्री परशुरामजी

जय श्री परशुरामजी :- ये हैं 10 रोचक बातें । परशु प्रतीक है पराक्रम का। राम पर्याय है सत्य सनातन का। इस प्रकार परशुराम का अर्थ हुआ पराक्रम के कारक और सत्य के धारक। शास्त्रोक्त मान्यता के अनुसार परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं, अतः उनमें आपादमस्तक विष्णु ही प्रतिबिंबित होते हैं।

भीष्म को नहीं कर सके पराजितमहाभारत के अनुसार, महाराज शांतनु के पुत्र भीष्म ने भगवान परशुराम से ही अस्त्र-शस्त्र की विद्या प्राप्त की थी। एक बार भीष्म काशी में हो रहे स्वयंवर से काशीराज की पुत्रियों अंबा, अंबिका और बालिका को अपने छोटे भाई विचित्रवीर्य के लिए उठा लाए थे। तब अंबा ने भीष्म को बताया कि वह मन ही मन राजा शाल्व को अपना पति मान चुकी है तब भीष्म ने उसे ससम्मान छोड़ दिया, लेकिन हरण कर लिए जाने के लिए शाल्व ने अंबा को अस्वीकार कर दिया।तब अंबा भीष्म के गुरु परशुराम के पास पहुंची और उन्हें अपनी व्यथा सुनाई। अंबा की बात सुनकर भगवान परशुराम ने भीष्म को उससे विवाह करने के लिए कहा, लेकिन ब्रह्मचारी होने के कारण भीष्म ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। तब परशुराम और भीष्म में भीषण युद्ध हुआ और अंत में अपने पितरों की बात मानकर भगवान परशुराम ने अपने अस्त्र रख दिए। इस प्रकार इस युद्ध में न किसी की हार हुई न किसी की जीत।किया था श्रीकृष्ण के प्रस्ताव का समर्थनमहाभारत के युद्ध से पहले जब भगवान श्रीकृष्ण संधि का प्रस्ताव लेकर धृतराष्ट्र के पास गए थे, उस समय श्रीकृष्ण की बात सुनने के लिए भगवान परशुराम भी उस सभा में उपस्थित थे। परशुराम ने भी धृतराष्ट्र को श्रीकृष्ण की बात मान लेने के लिए कहा था।

परशुराम का कर्ण को श्रापमहाभारत के अनुसार परशुराम भगवान विष्णु के ही अंशावतार थे। कर्ण भी उन्हीं का शिष्य था। कर्ण ने परशुराम को अपना परिचय एक ब्राह्मण पुत्र के रूप में दिया था। एक बार जब परशुराम कर्ण की गोद में सिर रखकर सो रहे थे। उसी समय कर्ण को एक भयंकर कीड़े ने काट लिया। गुरु की नींद में विघ्न न आए ये सोचकर कर्ण दर्द सहते रहे, लेकिन उन्होंने परशुराम को नींद से नहीं उठाया।नींद से उठने पर जब परशुराम ने ये देखा तो वे समझ गए कि कर्ण ब्राह्मण पुत्र नहीं बल्कि क्षत्रिय है। तब क्रोधित होकर परशुराम ने कर्ण को श्राप दिया कि मेरी सिखाई हुई शस्त्र विद्या की जब तुम्हें सबसे अधिक आवश्यकता होगी, उस समय तुम वह विद्या भूल जाओगे। इस प्रकार परशुरामजी के श्राप के कारण ही कर्ण की मृत्यु हुई।क्यों किया कार्तवीर्य अर्जुन का वध?एक बार महिष्मती देश का राजा कार्तवीर्य अर्जुन युद्ध जीतकर जमदग्रि मुनि के आश्रम से निकला। तब वह थोड़ा आराम करने के लिए आश्रम में ही रुक गया। उसने देखा कामधेनु ने बड़ी ही सहजता से पूरी सेना के लिए भोजन की व्यवस्था कर दी है, तो वह कामधेनु के बछड़े को अपने साथ बलपूर्वक ले गया। जब यह बात परशुराम को पता चली तो उन्होंने कार्तवीर्य अर्जुन की एक हजार भुजाएं काट दी और उसका वध कर दिया।इसलिए किया क्षत्रियों का संहारकार्तवीर्य अर्जुन के वध का बदला उसके पुत्रों ने जमदग्रि मुनि का वध करके लिया। क्षत्रियों का ये नीच कर्म देखकर भगवान परशुराम बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने कार्तवीर्य अर्जुन के सभी पुत्रों का वध कर दिया। जिन-जिन क्षत्रिय राजाओं ने उनका साथ दिया, परशुराम ने उनका भी वध कर दिया। इस प्रकार भगवान परशुराम ने 21 बार धरती को क्षत्रियविहिन कर दिया।

क्यों किया माता का वध?एक बार परशुराम की माता रेणुका स्नान करके आश्रम लौट रही थीं। तब संयोग से राजा चित्ररथ भी वहां जलविहार कर रहे थे। राजा को देखकर रेणुका के मन में विकार उत्पन्न हो गया। उसी अवस्था में वह आश्रम पहुंच गई। जमदग्रि ने रेणुका को देखकर उसके मन की बात जान ली और अपने पुत्रों से माता का वध करने को कहा। किंतु मोहवश किसी ने उनकी आज्ञा का पालन नहीं किया।तब परशुराम ने बिना सोचे-समझे अपने फरसे से उनका सिर काट डाला। ये देखकर मुनि जमदग्रि प्रसन्न हुए और उन्होंने परशुराम से वरदान मांगने को कहा। तब परशुराम ने अपनी माता को पुनर्जीवित करने और उन्हें इस बात का ज्ञान न रहे ये वरदान मांगा। इस वरदान के फलस्वरूप उनकी माता पुनर्जीवित हो गईं।ये थे परशुराम के भाइयों के नामऋषि जमदग्रि और रेणुका के चार पुत्र थे, जिनमें से परशुराम सबसे छोटे थे। भगवान परशुराम के तीन बड़े भाई थे, जिनके नाम क्रमश: रुक्मवान, सुषेणवसु और विश्वावसु था।ब्राह्मणों को दान कर दी संपूर्ण पृथ्वीमहाभारत के अनुसार परशुराम का ये क्रोध देखकर महर्षि ऋचिक ने साक्षात प्रकट होकर उन्हें इस घोर कर्म से रोका। तब उन्होंने क्षत्रियों का संहार करना बंद कर दिया और सारी पृथ्वी ब्राह्मणों को दान कर दी और स्वयं महेंद्र पर्वत पर निवास करने लगे।
                      

श्री परशुरामाय नमः

1 जुलाई से बदल जाएंगे रेलवे के ये 10 नियम....

1 जुलाई से बदल जाएंगे रेलवे के ये 10 नियम....

१) वेटिंग लिस्ट का झंझट खत्म हो जाएगा। रेलवे की ओर से चलाई जाने वाली सुविधा ट्रेनों में यात्रियों को कन्फर्म टिकट की सुविधा दी जाएगी।
२) 1 जुलाई से तत्काल टिकट कैंसिल करने पर 50 फीसदी राशी वापस किए जाएंगे।
३) 1 जुलाई से तत्काल टिकट के नियमों में बदलाव हुआ है। सुबह 10 से 11 बजे तक एसी कोच के लिए टिकट बुकिंग होगी जबकि 11 से 12 बजे तक स्लीपर कोच की बुकिंग होगी।
४) 1 जुलाई से राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में पेपरलेस टिकटिंग की सुविधा शुरु हो रही हैं। इस सुविधा के बाद शताब्दी और राजधानी ट्रेनों में पेपर वाली टिकट नहीं मिलेगी, बल्कि आपके मोबाईल पर टिकट भेजा जाएगा।
५) जल्द ही रेलवे अगल-अगल भाषाओं में टिकटिंग की सुविधा शुरु होने जा रही हैं। अभी तक रेलवे में हिंदी और अंग्रेजी में टिकट मिलती है, लेकिन नई वेबसाइट के बाद अब अलग-अगल भाषाओं में टिकट की बुकिंग की जा सकेगी।
६) रेलवे में टिकट के लिए हमेशा से मारामारी होती रहती है। ऐसे में 1 जुलाई से शताब्दी और राजधानी ट्रेनों में कोचों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
७) भीड़भाड़ के दिनों में रेलगाड़ी में बेहतर सुविधा देने के लिए वैकल्पित रेलगाड़ी समायोजन प्रणाली, सुविधा ट्रेन शुरु करने और महत्वपूर्ण ट्रेनों की डुप्लीकेट गाड़ी चलाने की योजना है।
८) रेल मंत्रालय ने 1 जुलाई से राजधानी, शताब्दी, दुरंतो और मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के तर्ज पर सुविधा ट्रेन चलाई जाएगी।
९) 1 जुलाई से रेलवे प्रीमियम ट्रेनों को पूरी तरह से बंद करने जा रहा है।
१०) सुविधा ट्रेनों में टिकट वापसी पर 50 फीसदी किराए की वापसी होगी। इसके अलावा एसी-2 पर 100 रुपए, एसी-3 पर 90 रुपए, स्लीपर पर 60 रुपए प्रति यात्री कटेंगे।
जन हित में जारी

� ट्रेन में बेफिक्र होकर सोएं, डेस्टिनेशन स्टेशन आने पर जगा देगा रेलवे....

 आपको 139 पर फोन कर वेकअप कॉल-डेस्टिनेशन अलर्ट सुविधा अपने पीएनआर पर एक्टिवेट करवाना होगी l

ट्रेन में रात के समय सफर करने वाले यात्रियों को डेस्टिनेशन स्टेशन आने से पहले रेलवे ने वेकअप कॉल-डेस्टिनेशन अलर्ट सुविधा शुरू कर दी है।

➡ क्या है डेस्टिनेशन अलर्ट

> इस सुविधा को डेस्टिनेशन अलर्ट नाम दिया गया है।

> सुविधा को एक्टिवेट करने पर डेस्टिनेशन स्टेशन आने से पहले ही मोबाइल पर अलार्म बजेगा।

> सुविधा को एक्टिवेट करने के लिए
अलर्ट टाइप करने के बाद
 पीएनआर नंबर टाइप करना होगा
और 139 पर सेंड करना होगा।

> 139 पर कॉल करना होगा।
कॉल करने के बाद भाषा चुने
 और फिर 7 डायल करें।
7 डायल करने के बाद पीएनआर नंबर डायल करना होगा। इसके बाद यह सेवा एक्टिवेट हो जाएगी

> इस सुविधा को वेकअप कॉल नाम दिया गया है।

➡ रिसीव होने तक बजेगी मोबाइल की घंटी

🔺इस सेवा को एक्टिवेट करने पर स्टेशन आने से पहले मोबाइल की घंटी बजेगी।
यह घंटी तब-तक बजती रहेगी, जब तक आप फोन रिसीव नहीं करेंगे। फोन रिसीव होने पर यात्री को सूचित किया जाएगा कि स्टेशन आने वाला है।

🙏 कृपया यह संदेश सभी को भेज दें।🌺

# प्रणामकामहत्व #प्रणामकामहत्व

#प्रणामकामहत्व

महाभारत का युद्ध चल रहा था -
एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर "भीष्म पितामह" घोषणा कर देते हैं कि -

"मैं कल पांडवों का वध कर दूँगा"
उनकी घोषणा का पता चलते ही पांडवों के शिविर में बेचैनी बढ़ गई -
भीष्म की क्षमताओं के बारे में सभी को पता था इसलिए सभी किसी अनिष्ट की आशंका से परेशान हो गए|

तब -
श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा अभी मेरे साथ चलो -
श्री कृष्ण द्रौपदी को लेकर सीधे भीष्म पितामह के शिविर में पहुँच गए -

शिविर के बाहर खड़े होकर उन्होंने द्रोपदी से कहा कि -

अन्दर जाकर पितामह को प्रणाम करो -
द्रौपदी ने अन्दर जाकर पितामह भीष्म को प्रणाम किया तो उन्होंने -
"अखंड सौभाग्यवती भव" का आशीर्वाद दे दिया ,

फिर उन्होंने द्रोपदी से पूछा कि ..

"वत्स, तुम इतनी रात में अकेली यहाँ कैसे आई हो, क्या तुमको श्री कृष्ण यहाँ लेकर आये है" ?

तब द्रोपदी ने कहा कि -

"हां और वे कक्ष के बाहर खड़े हैं"
तब भीष्म भी कक्ष के बाहर आ गए और दोनों ने एक दूसरे से प्रणाम किया -
भीष्म ने कहा -

"मेरे एक वचन को मेरे ही दूसरे वचन से काट देने का काम श्री कृष्ण ही कर सकते है"

शिविर से वापस लौटते समय श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि -

"तुम्हारे एक बार जाकर पितामह को प्रणाम करने से तुम्हारे पतियों को जीवनदान मिल गया है " -

" अगर तुम प्रतिदिन भीष्म, धृतराष्ट्र, द्रोणाचार्य, आदि को प्रणाम करती होती और दुर्योधन- दुःशासन, आदि की पत्नियां भी पांडवों को प्रणाम करती होंती, तो शायद इस युद्ध की नौबत ही न आती " -

......तात्पर्य्......

वर्तमान में हमारे घरों में जो इतनी समस्याए हैं उनका भी मूल कारण यही है कि -
"जाने अनजाने अक्सर घर के बड़ों की उपेक्षा हो जाती है "

" यदि घर के बच्चे और बहुएँ प्रतिदिन घर के सभी बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लें तो, शायद किसी भी घर में कभी कोई क्लेश न हो "
बड़ों के दिए आशीर्वाद कवच की तरह काम करते हैं उनको कोई "अस्त्र-शस्त्र" नहीं भेद सकता -

निवेदन :- सभी इस संस्कृति को सुनिश्चित कर नियमबद्ध करें तो घर स्वर्ग बन जाय।

तेरे पास जो है उसमें सब्र कर

तेरे पास जो है उसमें सब्र कर

और कद्र कर दिवाने,

यहां तो आस्मां के पास भी खुद

की जमीं नहीं !!