Sunday, July 2, 2017

फिसलन

"फिसलन "
सिक्कों को खनकते देखा है .........!
नोट ! के आगे ईमान !को फिसलते देखा है ......!!
चांदी के जूतों !को बरसते
देखा है .........!
ब-अदब-बे-आवाज़......
बद-चलन को संभल कर
चलते देखा है .......!!
बड़ा ! अजीब दौर है ये
फिसल कर!गिरने वालों को ........!
गिरकर! फिसलने वालों
पर हँसते देखा है ......!!
खोटे ! सिक्कों की नसीहत.......!
ज़रा !संभल कर चलना
जनाब ! नकाबों का शहर है .......
फिसलन ! भरी राहों पर
मील! के पत्थर !नहीं हुआ करते हैं.......
ज़रा !संभल कर चलना
ज़नाब!
आगे !रास्ता बंद है ........!
तंग !गली ! दरवाजा बंद है.......
फिसलन ......!!
बी.डी.गुहा रायपुर छत्तीसगढ़✍🙏

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