Tuesday, December 30, 2014

तेरे लिए खुद को मजबूर कर लिया,
ज़ख्मो को अपने नासूर कर लिया,
मेरे दिल में क्या था ये जाने बिना,
तुने खुद को हमसे कितना दूर कर लिया.
"बेख़बर हो गये हैं कुछ लोग, जो हमारी ज़रूरत तक महसूस नही करते.,

कभी बहुत बातें किया करते थे हमसे, अब ख़ैरियत तक पूछा नही करते.."
👉"तुज से नहीं "तेरे वक़्त से नाराज हु " जो कभी तुजे " मेरे लिए नहीं मिला 👈
तुम बिन हम अधूरे हैं महसूस करो तो समझ जाना, हम मर सकते हैं मगर अब अकेले जी नही सकते
कितनी झुठी होती है, मोहब्बत की कस्मेँ ।
देखो तुम भी जिन्दा हो, मैँ भी जिन्दा हूँ ॥
मुद्तों के बाद उसको किसी के साथ खुश देखा तो एहसास हुआ.! काश की उसको बहुत पहले हे छोड़ दिया होता.?
कितना मुश्किल हे ये हुनर दुनिया में आजमाना.! तुम्ही से "फासला" रखना और तुम्ही से "प्यार" करना.!
बड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बाद;
 मैं आज भी रो देता हूँ मुस्कुराने के बाद;
 तुझ से मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिन;
 अक्सर ये महसूस हुआ तेरे जाने के बाद.
बहुत कुछ बदला हैं मैने अपने आप में,  लेकिन...!  तुम्हें वो टूट कर चाहने की आदत अब तक नहीं बदली...

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