Monday, January 19, 2015

बचपन में जब 
धागों के बीच डब्बे फसाकर फोन-फोन खेलते थे ,

तब नहीं मालूम था की
एक दिन इस फोन में ही
जिन्दगी सिमटती चली जायेगी…
🌞 सुप्र्भात!…

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