Sunday, January 18, 2015

ॐ .... संस्कृत से संबंधित प्राथमिक ज्ञान...

> संस्कृत वणॅमाला मे ४६ वणॅ होते है। १३ स्वर , ३३ व्यञ्जन होते है ।

स्वर :-
> स्वर को बोलते समय किसी अन्य वणॅ की सहायता नही लेनी पडती ।
स्वर तीन प्रकार के हैं –
१. हस्व या लघु स्वर - अ इ उ ऋ लृ
२. दीर्घ स्वर - आ ई ऊ ऋ ए ऐ ओ औ
३. प्लुत स्वर – अ३ आ३ इ३ ई३ उ३ ऊ३ ऋ३
ऋ३ लृ३ ए३ ऐ३ ओ३ औ३

व्यञ्जन :-
> " व्यञ्जन " को बोलते समय किसी भी " एक स्वर " की सहायता लेनी पडती है ।
जैसे - ग - ग् + अ , क - क् + अ
> व्यञ्जन तीन प्रकार के होते हैं और पाँच प्रकार के वगॅ होते है ।
प्रकार : -
१. स्पर्श व्यञ्जन ;
२. अन्तस्थ: व्यञ्जन ;
३. उष्म व्यञ्जन

वर्ग : -
क , च , ट , त , प वगॅ

१. स्पर्श व्यञ्जन –
> " कठिन " और " नरम " दो प्रकार के "
व्यञ्जन " होते है ।
क वर्ग -- क् ख् ग् घ् ङ्
च वर्ग -- च् छ् ज् झ् ञ्
ट वर्ग -- ट् ठ् ड् ढ् ण्
त वर्ग -- त् थ् द् ध् न्
प वर्ग -- प् फ् ब् भ् म्

" कठिन व्यञ्जन " > क् ख् च् छ् ट् ठ् त् थ् प् फ्
( हर एक वर्ग के पहेले दो वर्ण )
" नरम व्यञ्जन " > ग् घ् ङ् ज् झ् ञ् ड् ढ् ण् द् ध् न्
ब् भ् म् ( हर एक वर्ग के पिछले तीन वर्ण )

२. अन्त्स्थः व्यञ्जन –
य् र् ल् व्

३. उष्म व्यञ्जन –
श् ष् स् ह्

> " व्यञ्जन " के अंत मे जो भी " स्वर " आता है उसे उस " स्वर का कारांत " कहते है जैसे --
( ०१ ) गति - ग् + अ + त् + इ ( इकारांत )
( ०२ ) मातृ - म् + आ + त् + ऋ ( ऋकारांत )
( ०३ ) कमल - क् + अ + म् + अ + ल् + अ
( अकारांत )

> व्यञ्जन को बोलते समय मुँह के पाँच
भागो का प्रयोग होता है ।
१) कण्ठस्थ २) तालव्य ३) मुधॅन्य ४) दन्तस्थ
५) ओष्ठस्थ

> अयोगवाह – अं ( ं ) , विसर्ग - अ: ( : )

> विशेष वणॅ –
ॐ, क्ष, त्र, ज्ञ, श्र

ॐ शान्ति ।। जयतु संस्कृतम् ।। जयतु आर्यावर्तम् ।।
हमे तो अपनों ने लूटा.. गैरो में कहा दम था..
शाज़िया भी चली गयी.. हमारी पार्टी में एक ही तो बम था..

- Kejriwal after Shazia joined BJP

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