ब्राह्मण तु बड़ा महान है
धरती की शान,
महादेव की संतान,
तेरी मुट्ठियों मे बन्द तुफान है रे,
ब्राह्मण तु बड़ा महान है.........
तू जो चाहे तो पर्वत, पहाड़ों को फोड़ दे,
तू जो चाहे तो नदियों के मुख को भी मोड़ दे,
तू जो चाहें तो माटी से अमृत निचोड़ दे,
तू जो चाहें तो धरती को अम्बर से जोड़ दे,
अमर तेरे प्राण, मिला तुझको वरदान,
तेरी आत्मा में स्वयं भगवान रे ।
ब्राह्मण तु बड़ा महान है.........
नयनों में ज्वाला तेरी गति में भूचाल,
तेरी छाती में छुपा महाकाल है,
पृथ्वी के लाल, तेरा हिमगिरी सा भाल,
तेरी भृकुटि मे ताण्डव का ताल है,
निज को जान, जरा शक्ति पहचान,
तेरी वाणी में युग का आहवान है, रे ।
ब्राह्मण तु बड़ा महान है.......
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