Tuesday, May 23, 2017

*एक बार पचास लोगों का ग्रुप। किसी मीटिंग में हिस्सा ले रहा था।* *मीटिंग शुरू हुए अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि स्पीकर अचानक ही रुका और सभी पार्टिसिपेंट्स को गुब्बारे 🏉देते हुए बोला , ”* *#आप सभी को गुब्बारे पर इस मार्कर से अपना नाम लिखना है। ” सभी ने ऐसा ही किया।* *अब गुब्बारों को एक दुसरे कमरे में रख दिया गया।* *स्पीकर ने अब सभी को एक साथ कमरे में जाकर पांच मिनट के अंदर अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने के लिए कहा।* *सारे पार्टिसिपेंट्स तेजी से रूम में घुसे और पागलों की तरह अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने लगे।* *पर इस अफरा-तफरी में किसी को भी अपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिल पा रहा था…* *👻 5 पांच मिनट बाद सभी को बाहर बुला लिया गया।* *स्पीकर बोला , ” अरे! क्या हुआ , आप सभी खाली हाथ क्यों हैं ? क्या किसी को अपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिला ?” ”* *नहीं ! हमने बहुत ढूंढा पर हमेशा किसी और के नाम का ही गुब्बारा हाथ आया…”, एक पार्टिसिपेंट कुछ मायूस होते हुए बोला।* *🏉“कोई बात नहीं , आप लोग एक बार फिर कमरे में जाइये , पर इस बार जिसे जो भी गुब्बारा मिले उसे अपने हाथ में ले और उस व्यक्ति को दे दे जिसका नाम उसपर लिखा हुआ है । “, स्पीकर ने निर्दश दिया।* *🏉एक बार फिर सभी पार्टिसिपेंट्स कमरे में गए, पर इस बार सब शांत थे , और कमरे में किसी तरह की अफरा- तफरी नहीं मची हुई थी। सभी ने एक दुसरे को उनके नाम के गुब्बारे दिए और तीन मिनट में ही बाहर निकले आये।* *स्पीकर ने गम्भीर होते हुए कहा ,* *☝☝” बिलकुल यही चीज हमारे जीवन में भी हो रही है।* *हर कोई अपने लिए ही जी रहा है , उसे इससे कोई मतलब नहीं कि वह किस तरह औरों की मदद कर सकता है , वह तो बस पागलों की तरह अपनी ही खुशियां ढूंढ रहा है , पर बहुत ढूंढने के बाद भी उसे कुछ नहीं मिलता ,* *👉👉 हमारी ख़ुशी दूसरों की ख़ुशी में छिपी हुई है।* *👌👉 जब हम औरों को उनकी खुशियां देना सीख जायेंगे* *👌👉तो अपने आप ही हमें हमारी खुशियां मिल जाएँगी।* ✌👌 👇 *और यही मानव- जीवन का उद्देश्य भी है.....*

*एक बार पचास लोगों का ग्रुप।  किसी मीटिंग में हिस्सा ले रहा था।*
*मीटिंग शुरू हुए अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि  स्पीकर अचानक ही रुका और सभी पार्टिसिपेंट्स को गुब्बारे 🏉देते हुए बोला , ”*
*#आप सभी को गुब्बारे पर इस मार्कर से अपना नाम लिखना है। ” सभी ने ऐसा ही किया।*

*अब गुब्बारों को एक दुसरे कमरे में रख दिया गया।*

*स्पीकर ने अब सभी को एक साथ कमरे में जाकर पांच मिनट के अंदर अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने के लिए कहा।*

*सारे पार्टिसिपेंट्स तेजी से रूम में घुसे और पागलों की तरह अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने लगे।*

*पर इस अफरा-तफरी में किसी को भी अपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिल पा रहा था…*

*👻  5 पांच मिनट बाद सभी को बाहर बुला लिया गया।*

*स्पीकर बोला , ” अरे! क्या हुआ , आप सभी खाली हाथ क्यों हैं ? क्या किसी को अपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिला ?” ”*

*नहीं ! हमने बहुत ढूंढा पर हमेशा किसी और के नाम का ही गुब्बारा हाथ आया…”, एक पार्टिसिपेंट कुछ मायूस होते हुए बोला।*

*🏉“कोई बात नहीं , आप लोग एक बार फिर कमरे में जाइये , पर इस बार जिसे जो भी गुब्बारा मिले उसे अपने हाथ में ले और उस व्यक्ति को दे दे जिसका नाम उसपर लिखा हुआ है । “, स्पीकर ने निर्दश दिया।*

*🏉एक बार फिर सभी पार्टिसिपेंट्स कमरे में गए, पर इस बार सब शांत थे , और कमरे में किसी तरह की अफरा- तफरी नहीं मची हुई थी। सभी ने एक दुसरे को उनके नाम के गुब्बारे दिए और तीन मिनट में ही बाहर निकले आये।*

*स्पीकर ने गम्भीर होते हुए कहा ,*

*☝☝” बिलकुल यही चीज हमारे जीवन में भी हो रही है।*

*हर कोई अपने लिए ही जी रहा है , उसे इससे कोई मतलब नहीं कि वह किस तरह औरों की मदद कर सकता है , वह तो बस पागलों की तरह अपनी ही खुशियां ढूंढ रहा है , पर बहुत ढूंढने के बाद भी उसे कुछ नहीं मिलता ,*

*👉👉  हमारी ख़ुशी दूसरों की ख़ुशी में छिपी हुई है।*

*👌👉 जब हम औरों को उनकी खुशियां देना सीख जायेंगे*
*👌👉तो अपने आप ही हमें हमारी खुशियां मिल जाएँगी।*

✌👌   👇

*और यही मानव- जीवन का उद्देश्य भी है.....*

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