Monday, May 22, 2017

✍चांद ने पूछा तेरा सत्गुरु कैसा है । मैंने कहा तू बिल्कुल उसके जैसा है । हवा बोली क्या वो खिलता कमल है । मैंने कहा वह प्रेम का महल है । खूश्बूू बोली क्या वह फूल है । मैंने कहा फूल तो उसके चरणो की धूल है । नदी बोली क्या वह जल मे रहते हैं । मैंने कहा वह भक्तों के दिलों में रहते है । परी बोली क्या वह जादू की छड़ी है । मैंने कहा उसकी मुस्कान जादू भरी है । सूरज ने पुछा क्या वह देव है । मैंने कहा वह देवो के देव 🙏Mere Satguru 🙏है ।

✍चांद ने पूछा तेरा सत्गुरु कैसा है ।
मैंने कहा तू बिल्कुल उसके जैसा है ।
हवा बोली क्या वो खिलता कमल है ।
मैंने कहा वह प्रेम का महल है ।
खूश्बूू बोली क्या वह फूल  है ।
मैंने कहा फूल तो उसके चरणो की धूल है ।
नदी बोली क्या वह जल मे रहते हैं ।
मैंने कहा वह भक्तों  के दिलों में रहते है ।
परी बोली क्या वह जादू की छड़ी है ।
मैंने कहा उसकी मुस्कान जादू भरी है ।
सूरज ने पुछा  क्या वह देव है ।
मैंने कहा वह देवो के देव 🙏Mere Satguru 🙏है ।

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