माँ का आँचल
माँ की गोद में
लेटा बालक तेज धूप में कुडमुंडाया
माँ ने झट से आँचल फैलाया
ममता की छाव में ढँक लिया
बालक दुग्धपान करते-करते सो गया
यह देख बादलो की संवेदना जागी
बादलो ने भी अपने आँचल फैलाये
किन्तु ! पवन के झोंकों ने
बिखरा दिया
माँ अब भी "धुप में छाव लिए बैठी रही"
सूरज का तेज प्रताप भी उसे डिगा न सका
आहिस्ता-आहिस्ता वह भी........
माँ की ममता और आँचल को
नमन करता
अपना "आँचल" समेट......
अस्ताचल ....
माँ की गोद में.......
बी. डी. गुहा रायपुर
स्वरचित रचना .........
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