Wednesday, May 17, 2017

क्या खूब लिखा है किसी ने, *गाँव को गाँव्* ही रहने दो साहब । *क्यों* शहर बनाने में तुले हुये हो... *गांव* में रहोगे तो *माता-पिता* के नाम से जाने जाओगे , और *शहर* में रहोगे तो *मकान नंबर* से पहचाने जाओगे..

क्या खूब लिखा है किसी ने,

*गाँव को गाँव्* ही रहने दो साहब ।
*क्यों* शहर बनाने में तुले हुये हो...
*गांव* में रहोगे तो
*माता-पिता* के नाम से जाने जाओगे ,

                और
*शहर* में रहोगे तो   *मकान नंबर*   से पहचाने जाओगे..

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