सवाल दर सवाल
सब को अपने रिटायरमेंट
दिखने लगे है
क्या खोया क्या पाया
अब !गिनने लगे है
कुछ रिटायरमेंट के बाद
के सपने दिखने लगे है
जिंदगी कैसी निकल गई
अब!पुराने दिन की यादें
सफर हम सफर फिर मिलने लगे है
ख्यालों में ख्याल रहा न
अपना ख्याल ख्याली रह गए ख्याल अब दिखने लगे है
मत !पूछो सवाल अब !
भी सवालों के जबाब
सवालों में मिलने लगे है
रखना होगा "अपनाख्याल"
अपने आप से पूछों क्यों
छूट गए "सवाल "
हमने तो पूरा रखा था
सब !का ख्याल .......!
ख्यालों का पैमाना "आधा
खाली आधा भरा "
कर रहा सवाल दर सवाल ........!
किससे पूछे किसका हाल
हर सवाल का यही हाल
कभी जीना "मुहाल"
सवालों से होता रहा
वक्त बे वक्त होता रहा मलाल...!
उत्तर दें या सवाल करें...
सवाल और जबाब में
जिंदगी गुजर गई
फिर !भी रह गया सवाल
कौन!किसका किसके लिए जिया सबके
अपने अपने
सवाल .......!
-स्वरचित
बी.डी. गुहा
रायपुर,छत्तीसगढ़✍
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