Thursday, May 25, 2017

क्षणिका ......... पर्यावरण बदल रहा ........! वृथा कल्पना शुष्क पथरीले पैचाशिक विचार......... मन-भावना कुलषित....... नहीं रहा संयम त्याग सदविचार......... कहते है .....! पर्यावरण बदल रहा ........ स्वार्थ लोभ छल-कपट समय बना विकट........ राग,द्वेष "अपनों"पर "अपना" नहीं रहा "अनुराग " पर्यावरण बदल रहा.......! बी.डी.गुहा रायपुर छत्तीसगढ़✍😳😇🙏

क्षणिका .........
पर्यावरण बदल रहा ........!
वृथा कल्पना
शुष्क पथरीले पैचाशिक विचार.........
मन-भावना कुलषित.......
नहीं रहा संयम त्याग सदविचार.........
कहते है .....!
पर्यावरण बदल रहा ........
स्वार्थ लोभ छल-कपट
समय बना विकट........
राग,द्वेष "अपनों"पर "अपना"
नहीं रहा "अनुराग "
पर्यावरण बदल रहा.......!
बी.डी.गुहा रायपुर
छत्तीसगढ़✍😳😇🙏

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