एक पत्थर सिर्फ एक बार *मंदिर जाता है और* *भगवान बन जाता है*..
*हम इंसान हर रोज* *मंदिर जाते हैं* *भगवान तो दूर* *इंसान भी नहीं बन पाते है*..
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