क्रोधो वैवस्वतो राजा तॄष्णा वैतरणी नदी। विद्या कामदुधा धेनु: सन्तोषो नन्दनं वनम्॥
भावार्थ:- क्रोध यमराज के समान है और तृष्णा नरक की वैतरणी नदी के समान। विद्या सभी इच्छाओं को पूरी करने वाली कामधेनु है और संतोष स्वर्ग का नंदन वन है।
🌹सुप्रभात 🌹
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