Thursday, May 4, 2017

क्रोधो वैवस्वतो राजा तॄष्णा वैतरणी नदी। विद्या कामदुधा धेनु: सन्तोषो नन्दनं वनम्॥ भावार्थ:- क्रोध यमराज के समान है और तृष्णा नरक की वैतरणी नदी के समान। विद्या सभी इच्छाओं को पूरी करने वाली कामधेनु है और संतोष स्वर्ग का नंदन वन है। 🌹सुप्रभात 🌹

क्रोधो वैवस्वतो राजा तॄष्णा वैतरणी नदी।
विद्या कामदुधा धेनु: सन्तोषो नन्दनं वनम्॥

भावार्थ:-  क्रोध यमराज के समान है और तृष्णा नरक की वैतरणी नदी के समान। विद्या सभी इच्छाओं को पूरी करने वाली कामधेनु है और संतोष स्वर्ग का नंदन वन है।

  🌹सुप्रभात 🌹

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