बोनसाई और कैकट्स
कांक्रीट के जंगल में
हरयाली की खोज
पहलेजंगल काटे जलाये और समेटे
अब अपने ही काँक्रीटी जंगल में
जले कटे और सिमटे
हरियाली की खोज में .......
अदने से गमले में नन्हा सा बोनसाई
और कांटो से लदा कैकट्स
समझ नहीं पा रहा बौना कौन......?
या फिर कांटो से भी कंटीला...
कौन !!!
छत - विक्षत अपने ही कांटो से विदीर्ण
एक कतरा ! हरियाली अश्रुधारा से
सींच.......
स्तब्ध मौन ! ! !
बोनसाई और कैकट्स .....कौन !!!
स्वरचित रचना बी.डी.गुहा रायपुर
छत्तीसगढ़
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